MP News : सरकार पूरे प्रदेश में जल गंगा संवर्धन के माध्यम से नदी-तालाबों के संरक्षण और जीर्णोद्धार का काम शुरू किया हुआ है। ऐसे में अगर कोई प्रोजेक्ट भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाए तो पैसे और समय दोनों की बर्बादी होती है। धार जिले में कारम बांध के साथ ऐसा ही हुआ है।
MP News : बांध के निर्माण से सिंचाई, बिजली उत्पादन, जलापूर्ति आदि कई कार्य आसानी से हो जाते हैं। इसलिए सरकार बांध का निर्माण करती हैं। प्रदेश सरकार ने तो पूरे प्रदेश में जल गंगा संवर्धन के माध्यम से नदी-तालाबों के संरक्षण और जीर्णोद्धार का काम शुरू किया हुआ है। ऐसे में अगर कोई प्रोजेक्ट भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाए तो पैसे और समय दोनों की बर्बादी होती है। धार जिले में कारम बांध(Karam Dam) के साथ ऐसा ही हुआ है।
गुजरी क्षेत्र में साल 2022 में यह बांध (Karam Dam) फूट जाने से डेढ़ दर्जन से अधिक गांव के लोगों की सांसें आफत में आ गईं थीं। तब जल संसाधन विभाग और निर्माण कंपनी की लापरवाही उजागर हुई थी। इतना ही नहीं, बांध फूटने से सौ करोड़ रुपए भी बर्बाद हुए थे और प्रोजेक्ट पांच साल पीछे चला गया है। इसमें बारिश का करोड़ों लीटर पानी व्यर्थ बह गया। इसका खामियाजा क्षेत्र के किसान अभी तक उठा रहे हैं। अब दिल्ली की पुरानी कंपनी एएनएस कंस्ट्रक्शन प्रालि. मशीनों के जरिए मैदानी स्तर पर काम कर रही है। हालांकि इस बारिश से पहले बांध का बनना असंभव है। इसलिए 2026 पर उमीदें टिकी हैं।
जलसंसाधन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि केंद्रीय मृदा और सामग्री अनुसंधान स्टेशन (सीएसएमआरएस) के नियमों के अंतर्गत ही सारा काम हो रहा है। पिछली बार की गलती को ध्यान में रखते हुए इस बार अधिक मजबूती से काम करवा रहे हैं। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पुरानी कंपनी द्वारा ही बांध का फिर से काम किया जा रहा है, जिसे पूर्व में शासन ने ब्लैक लिस्ट किया था।
शासन के अनुबंध के मुताबिक पुरानी एजेंसी को ही काम करके देना है। काम फ्री ऑफ कॉस्ट किया जा रहा है। सीएसएमआरएस टीम के निर्देशानुसार ही कार्य हो रहा है। 2026 तक पूरा होने का अनुमान है। - एमएस चौहान, कार्यपालन यंत्री, जल संसाधन विभाग, धार
गुजरी के समीप भारुड़पुरा गांव के कोठिदा में जल संसाधन विभाग ने बांध की आधारशिला रखी थी। जिसे पूरा होने पर धार और खरगोन जिले के 52 गांवों किसानों को सिंचाई केलिए पानी मिलता। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, डैम से 10 हजार 500 हेक्टेयर में सिंचाई का लक्ष्य है। दो बड़ी नहरें भी बनाई जाना है। फिलहाल नहरों का निर्माण नहीं हुआ है। विभाग का कहना है कि स्वीकृति मिलने पर नहरों का काम शुरू किया जाएगा।