Agni devta: अग्नि देव को पंच तत्वों में से एक माना गया है। अग्नि के बिना किसी का भी जीवन संभव नहीं है। इसलिए यह सनातन धर्म में पूज्यनीय है।
Agni devta: हिंदू धर्म में अग्नि को देवता माना गया है। यह शुद्धता का प्रतीक भी है। क्योंकि यह केवल एक ऊर्जा का स्रोत नहीं है। यह धर्मिक अनुष्ठानों और परंपराओं का अभिन्न हिस्सा है। अग्नि के माध्यम से देवताओं का आवाहन, हवन और संस्कार पूरे किए जाते हैं। इसलिए सनातन धर्म में अग्नि का विशेष महत्व है। लेकिन क्या आपको पता है कि अग्नि से पैर लगान कितान बड़ा पाप है। या इसको दूषित और अनुचित तरीके से उपयोग करना कितना अशुभ है?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अग्नि से पर लगाना एक ऐसी क्रिया है जिसे अनादर और अपवित्रता का प्रतीक समझा जाता है। इसलिए यह कर्म खासतौर पर इस तथ्य पर आधारित है कि अग्नि को पवित्रता और शुद्धिकरण का स्रोत माना गया है। मान्यता है कि आप अपने स्वार्थ या निजी फायदे के लिए अग्नि को पैर लगाकर उसका निरादर या दुरुपयोग कर रहें हैं, तो इससे अग्नि देवता नराज होते हैं। क्योंकि ऐसा करना अग्नि देव के प्रति असम्मान का भाव दर्शाता है। यही कारण है कि इसे पाप की श्रेणी में रखा गया है।
धार्मिक दृष्टिकोण के अनुसार अग्नि देवता को पैर लगाना बहुत ही अपवित्र और अशुभ कार्य माना गया है। यदि कोई व्यक्ति ऐसा करता है तो उसके कर्मों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। मान्यता है जो व्यक्ति ऐसा करता है तो उससे अग्नि देव का आशीर्वाद प्राप्त नहीं होता और उसके जीवन से सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव कम होने लगता है। इसलिए अग्नि को पैर लगाने या उसका निरादर करने से बचें।
अग्नि को अनादर या अनुचित तरीके से इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। क्यों कि अग्नि देव यज्ञ या हवन के प्रथम अंग माने जाते हैं। मान्यता है कि ईश्वर और मानव जाति के बीच अग्नि देव माध्यम का कार्य करतें हैं। यही वजह है कि कोई भी शुभ काम शुरू करने से पहले उपहारों की भेंट अग्नि देव को चढ़ाई जाती है।
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