Apara Ekadashi Kab Hai: ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी अपरा एकादशी या अचला एकादशी के नाम से जानी जाती है। मान्यता है कि अपरा एकादशी व्रत रखने से मनुष्य को अपार खुशियां मिलती हैं। साथ ही मनुष्य को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। आइये जानते हैं गृहस्थ और वैष्णवजन के लिए क्या है अपरा एकादशी की सही डेट, साथ ही अपरा एकादशी पर शुभ योग कौन से हैं ...
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार अपरा एकादशी को कई नाम से जाना जाता है। जम्मू-कश्मीर, पंजाब और हरियाणा में इसे भद्रकाली एकादशी तो ओडिशा में जलक्रीड़ा एकादशी के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति को असीमित या अपार धन की प्राप्ति होती है, इसी कारण इसे अपरा एकादशी कहा जाता है। साथ ही भगवान श्री कृष्ण ने राजा युधिष्ठिर से इसके संबंध में कहा था कि अपरा एकादशी व्रत को रखने वाला व्यक्ति पुण्य कर्मों के कारण जग में बहुत प्रसिद्ध होता है। साथ ही गंगा स्नान करने के समान लाभ प्राप्त करता है। इसके अलावा अपरा एकादशी का व्रत सभी पापों को नाश करने वाली और पापों की क्षमा दिलाकर मोक्ष दिलाने वाली है।
गृहस्थ के लिए अपरा एकादशी व्रतः रविवार 2 जून 2024
ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष एकादशी प्रारंभः रविवार 02 जून 2024 को सुबह 05:04 बजे से
ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष एकादशी संपन्नः सोमवार 03 जून 2024 को सुबह 02:41 बजे
गृहस्थ के लिए अपरा एकादशी पारण का समयः सोमवार 3 जून 2024 सुबह 8.05 से 8.16 के बीच
पारण तिथि के दिन हरि वासर समाप्त होने का समयः 3 जून सुबह 08:05 बजे से
वैष्णवजन के लिए अपरा एकादशीः सोमवार, 3 जून 2024
वैष्णव अपरा एकादशी पारण का समयः मंगलवार 4 जून सुबह 05:34 बजे से सुबह 08:16 बजे तक
पारण के दिन द्वादशी सूर्योदय से पहले समाप्त हो जाएगी।
आयुष्मान योगः 2 जून को दोपहर 12:12 बजे तक
सौभाग्य योगः 3 जून सुबह 9.11 बजे तक
सर्वार्थ सिद्धि योगः 3 जून सुबह 01:40 बजे से सुबह 05:34 बजे तक
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार अपरा एकादशी पारण एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद किया जाता है। लेकिन पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना जरूरी है। यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो जाय तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद ही होता है। द्वादशी तिथि के भीतर पारण न करना पाप करने के समान होता है। वहीं एकादशी व्रत का पारण हरि वासर (द्वादशी तिति की पहली एक चौथाई अवधि) के दौरान भी नहीं करना चाहिए। व्रत तोड़ने के लिए सबसे उपयुक्त समय सुबह होता है। लेकिन कोई बाधा है तो मध्याह्न के बाद पारण करना चाहिए।
इसके अलावा एकादशी व्रत लगातार दो दिनों के लिए होगा तो स्मार्त और परिवारजन को पहले दिन एकादशी व्रत करना चाहिए। वहीं दूसरे दिन वाली एकादशी यानी वैष्णव एकादशी को संन्यासियों, विधवाओं और मोक्ष प्राप्ति के इच्छुक श्रद्धालुओं को व्रत करना चाहिए।