Dhanteras ki kahani: दीपोत्सव की तैयारियां तेज हो गईं हैं। धनतेरस यानी धन त्रयोदशी से इस पांच दिवसीय त्योहार की शुरुआत हो जाएगी। लेकिन क्या आप जानते हैं, क्यों मनाते हैं धनतेरस और क्या है इसकी कहानी...
Dhanteras Ki Kahani: धनतेरस की कथा भगवान धन्वंतरि से जुड़ी हुई है, जो आयुर्वेद के देवता हैं। इनके आशीर्वाद से धन और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। इन्हें भी भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। धनतेरस की कहानी के अनुसार एक बार कुछ कारणों से सृष्टि से धन संपदा का लोप हो गया। स्वर्ग पर असुरों का शासन हो गया। इस समस्या के हल के लिए त्रिदेवों ने सागर मंथन कराने का फैसला लिया।
इसके लिए देव और दानवों में सहमति बनाई गई। क्षीर सागर में मंथन के लिए भगवान विष्णु ने कच्छप अवतार धारण किया, उनके ऊपर मंदराचल पर्वत को मथानी बनाई गई और वासुकि रस्सी बने, फिर सभी देवताओं और दानवों ने सागर मंथन शुरू किया। इसी से कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि के दिन 14 रत्न प्रकट हुए। इसी में भगवान धन्वंतरि और मां लक्ष्मी भी थीं। मां लक्ष्मी धन और सुख संपदा की देवी हैं तो भगवान धन्वंतरि धन और आरोग्य के देवता हैं।
इसलिए इस दिन भगवान धन्वंतरि के साथ इस दिन माता लक्ष्मी, धन के देवता कुबेर और मृत्यु के देवता यमराज की भी पूजा की जाती है। इसी दिन से दीपावली का पर्व शुरू हो जाता है और इस दिन सोना-चांदी या नए बर्तन खरीदना बहुत ही शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान धन्वंतरी की पूजा करने से जातक को आरोग्य की प्राप्ति भी होती है। वहीं, मां लक्ष्मी और कुबेर देवता की पूजा से धन लाभ होता है, जिससे घर में बरकत बनी रहती है।
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Dhanteras Puja Vidhi: पंचांग के अनुसार धनतेरस 29 अक्टूबर को है। इस दिन भगवान धन्वंतरि और देवी लक्ष्मी की पूजा करके लोग धन, स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करते हैं। आइये जानते हैं धनतेरस की पूजा विधि ..
1. सबसे पहलें हमें जहां पूजा करनी है, वहां सफाई करें।
2. शुभ मुहूर्त में भगवान धन्वंतरि देव के साथ मां लक्ष्मी और कुबेर देवता की तस्वीर या मूर्ति की स्थापना करें।
3. इनके सामने घी का दीपक, अगरबत्ती जलाएं और शाम को द्वार पर भी दीपक जलाएं।
4. भगवान को फूल, मिठाई अर्पित करें। एक बर्तन में पानी भरकर उसमें कुछ फूल डालें और भगवान धन्वंतरि के पास रखें।
5. फिर भगवान धन्वंतरि और देवी लक्ष्मी की आरती करें, उनके मंत्र पढ़ें।
6. मन ही मन धन और अच्छे स्वास्थ्य की प्रार्थना करें।
7. पूजा समापन के बाद सभी को प्रसाद बांटें और धनतेरस की शुभकामनाएं दें।