Gayatri Mantra: मां गायत्री को ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का ही विशेष स्वरूप माना जाता है। यही कारण है कि इन्हें त्रिमूर्ति मानकर ही इनकी पूजा की जाती है। इनका मंत्र युवाओं को सफलता और सुरक्षा देता है तो जिसे पहली बार ऋषि विश्वामित्र ने जनता के लिए बोला था, आइये जानते हैं वह शक्तिशाली गायत्री मंत्र क्या है (gayatri mantra ke fayde) ...
धर्मग्रंथों के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का विशेष स्वरूप मां गायत्री के पांच मुख और दस हाथ हैं। इनके पांच में से चार मुख चारों वेदों के प्रतीक हैं, जबकि मां का पांचवा मुख सर्वशक्तिमान शक्ति होने का संदेश देता है। गीता में मां के दस हाथ भगवान विष्णु के प्रतीक बताए गए हैं। सृष्टि के आरंभ में ब्रह्माजी के मुख से सबसे पहले गायत्री मंत्र की ध्वनि प्रकट हुई थी। इसकी व्याख्या ब्रह्माजी ने चारों मुखों से चार वेदों के रूप में की थी। मान्यता है कि चारों वेद, पुराण, श्रुतियां भी माता गायत्री से ही उत्पन्न हुए हैं। इसीलिए इन्हें वेदमाता कहा जाता है।
महाभारत के रचयिता वेद व्यास जी ने भी गायत्री मंत्र की महिमा का बखान किया है। यदि किसी प्रकार गायत्री मंत्र को सिद्ध कर लिया जाए तो यह सभी प्रकार की इच्छाओं को पूरा करने वाली कामधेनु गाय के समान है। गायत्री मंत्र जपने से मनुष्य की आध्यत्मिक चेतना का पूर्ण विकास होता हैं और सभी प्रकार के कष्टों का निवारण होता है। क्योंकि देवी मां भक्त के चारों ओर रक्षा-कवच का निर्माण करती हैं। योगपद्धति में भी इस मंत्र का असर बेहद प्रभावी होता है।
भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है कि मनुष्य को अपने कल्याण के लिए गायत्री और ॐ ध्वनि का उच्चारण सदैव करना चाहिए, क्योंकि यह बहुत ही बलशाली है और यह नकारात्मकता को दूर भगाता है। मां गायत्री मनुष्य को आयु, प्राण, शक्ति, कीर्ति, धन, सुख समृद्धि, खुशहाली, सिद्धि और ब्रह्म तेज प्रदान कराती हैं। इनकी उपासना से मनुष्य को सभी कुछ सरलता से प्राप्त हो जाता है। सभी बिगड़े काम बन जाते हैं।
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्यः धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्॥
गायत्री मंत्र का अर्थ: : हम ईश्वर की महिमा का ध्यान करते हैं, जिसने इस संसार को उत्पन्न किया है, जो पूजनीय है, जो ज्ञान का भंडार है, जो पापों और अज्ञान की दूर करने वाला है, वह हमें प्रकाश दिखाए और हमें सत्य पथ पर ले जाएं।