धर्म-कर्म

कन्या पूजन बिना नवरात्रि पूजा अधूरी, जानें महत्व, महाष्टमी महानवमी की डेट और कन्या भोज का शुभ मुहूर्त

Maha Ashtami Maha navami 2024: शारदीय नवरात्रि के सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान में से एक कन्या पूजन है। यह अनुष्ठान आखिरी दिन, महाष्टमी और महानवमी को होता है। मान्यता है कि नौ दिन नवरात्रि व्रत रखने वाले व्यक्ति को कन्या पूजन जरूर करना चाहिए तभी पूरा फल मिलता है। आइये जानते हैं डेट और मुहूर्त (Kanya Pujan Muhurt) ...

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Oct 05, 2024
Maha Ashtami: शारदीय नवरात्रि में कन्या पूजन का मुहूर्त

कन्या पूजन का महत्व (Kanya Puja Ka Mahatv)


नवरात्रि के अंतिम दिन कुंआरी कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है। ये नौ कन्याएं मां का नौ स्वरूप मानी जाती है, इस दिन एक लांगुर की भी पूजा होती है, जिसे भैरव स्वरूप माना जाता है। नौ दिन व्रत रखने वाले भक्त कन्याओं को भोजन कराने के बाद ही अपना व्रत खोलते हैं।

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मान्यता है कि इस दिन कन्याओं को भोजन कराने से घर में सुख, शांति और संपन्नता आती है। कन्या पूजन की कन्याएं 10 वर्ष से कम आयु की हों तो जातक को कभी धन की कमी नही होती और उसका जीवन उन्नतशील रहता है।


पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि इस साल 3 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि शुरू हो गई है, जिसका समापन 11 अक्टूबर को होगा।

इस दिन होगा विसर्जन

12 अक्टूबर को माता दुर्गा की मूर्ति का विसर्जन होगा। नवरात्रि में आमतौर पर नवमी को कन्याओं का पूजन करके उन्हें भोजन कराया जाता है। लेकिन कुछ श्रद्धालु अष्टमी को भी कन्या पूजन करते हैं।

शास्त्रों के अनुसार कन्या पूजन में 2 से 10 साल तक उम्र की नौ कन्याओं को भोजन कराने से हर तरह के दोष खत्म होते हैं। कन्याओं को भोजन करवाने से पहले देवी को नैवेद्य लगाएं और भेंट करने वाली चीजें भी पहले देवी को चढ़ाएं।

इसके बाद कन्या भोज और पूजन करें। कन्या भोजन न करवा पाएं तो भोजन बनाने का कच्चा सामान जैसे चावल, आटा, सब्जी और फल कन्या के घर जाकर उन्हें भेंट कर सकते हैं।

पुराणों में है कन्या भोज का महत्व

भविष्यवक्ता और कुंडली विश्ल़ेषक डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि पौराणिक धर्म ग्रंथों और पुराणों के अनुसार नवरात्रि के अंतिम दिन कौमारी पूजन आवश्यक होता है। क्योंकि कन्या पूजन के बिना भक्त के नवरात्र व्रत अधूरे माने जाते हैं। कन्या पूजन के लिए सप्तमी, अष्टमी और नवमी तिथि और कन्या भोज के लिए दस वर्ष तक की कन्याएं उपयुक्त होती हैं।

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ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि अष्टमी को विविध प्रकार से मां शक्ति की पूजा करें। इस दिन देवी के शस्त्रों की पूजा करनी चाहिए। इस तिथि पर विविध प्रकार से पूजा करनी चाहिए और विशेष आहुतियों के साथ देवी की प्रसन्नता के लिए हवन करवाना चाहिए। इसके साथ ही 9 कन्याओं को देवी का स्वरूप मानते हुए भोजन करवाना चाहिए। दुर्गाष्टमी पर मां दुर्गा को विशेष प्रसाद चढ़ाना चाहिए। पूजा के बाद रात्रि को जागरण करते हुए भजन, कीर्तन, नृत्यादि उत्सव मनाना चाहिए।

कब करें कन्या पूजन (Kanya Pujan Muhurt)

ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 10 अक्टूबर को दोपहर 12:30 बजे से आरंभ हो रही है और 11 अक्टूबर को दोपहर 12:06 बजे समाप्त हो रही है। अष्टमी तिथि के समाप्त होते ही नवमी तिथि शुरू हो जाएगी, जिसका समापन 12 अक्टूबर को सुबह 10:57 बजे होगा।

उदयातिथि के आधार पर इस बार अष्टमी और नवमी तिथि का व्रत 11 अक्टूबर 2024 को एक दिन ही रखा जाएगा। इस आधार पर महाअष्टमी और महानवमी तिथि 11 अक्टूबर 2024 को है और इसी दिन कन्या पूजन करेंगे।

डॉ. व्यास के अनुसार महाष्टमी पर कन्या पूजन 11 अक्टूबर को सुबह 07:47 बजे से लेकर 10:41 बजे तक कर सकते हैं। इसके बाद दोपहर 12:08 बजे से लेकर 1:35 बजे तक कर सकते हैं।

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