धर्म-कर्म

Panchbali Bhog: पितृ पक्ष में न भूलें पंचबली भोग लगाना, इसके बिना तृप्त नहीं होते पितर, लौट जाते हैं भूखे

Panchbali Bhog Kya Hai : पितृ पक्ष में हिंदू मान्यताओं के अनुसार पितर पितृ लोक से धरती पर आते हैं और वंशजों की ओर से दिए गए भोजन से तृप्त होते हैं। वंशजों की ओर से किए गए श्राद्ध कर्म, तर्पण और पिंडदान से उन्हें शांति और मुक्ति मिलती है। लेकिन इस समय पंचबली भोग लगाना न भूलें, वर्ना पितृ भूखे ही लौट जाएंगे, क्योंकि इसी से उन्हें तृप्ति मिलती है। आइये जानते हैं कि ये पंचबली भोग क्या है और इसे कैसे करना चाहिए।

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Sep 18, 2024
पंचबली भोग क्या है

panchbali karma in hindi: वाराणसी के पुरोहित पं. शिवम तिवारी के अनुसार पितृ पक्ष में सभी अपने पितृ के निमित्त श्राद्ध कर्म करते है, लेकिन इन 15 दिनों में पंचबली भोग का कर्म नहीं भूलना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि पंचबली भोग से ही पितरों की आत्मा तृप्त होती है। इसके परिणाम स्वरूप पितृ प्रसन्न होकर वंशजों को आशीर्वाद देते है। यहां जानें क्या है पंचबली भोग कर्म और इसे कैसे करना चाहिए।


शास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष में पितरों के निमित्त पंचबली (भूतयज्ञ) के माध्यम से 5 विशेष प्राणियों को श्राद्ध का भोजन कराने का नियम है। अगर पितृ पक्ष में इन प्राणियों को भोजन कराया जाता है तो पितृ इनके द्वारा खाए अन्न से तृप्त हो जाते हैं। जाने वे कौन से जीव हैं जिन्हें भोजन कराने से पितृ तृप्त हो जाते हैं ।

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कैसे करते हैं पंचबली समर्पित

panchbali mantra: विभिन्न योनियों में व्याप्त जीव चेतना की तुष्टि के लिए यह भूतयज्ञ किया जाता है। इसके अनुसार अलग-अलग 5 केले के पत्तों या एक ही बड़ी पत्तल पर पांच स्थानों पर भोज्य पदार्थ रखे जाते हैं। इसमें उड़द-दाल की टिकिया और दही को पांच भाग में पांच प्राणियों गाय, कुत्ता, चींटी, कौआ और देव के लिए रखा जाता है और सभी का अलग अलग मंत्र बोलते हुए एक- एक भाग पर अक्षत छोड़कर पंचबली समर्पित की जाती है।

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पंचबली भोग

पंचबली भोग

गौ बली

पहला पहला भोग पवित्रता की प्रतीक गाय को खिलाना चाहिए। इसी को गौ बली कहते हैं। इस दौरान नीचे लिखे मंत्र पढ़ना चाहिए।

मंत्र

ॐ सौरभेयः सर्वहिताः, पवित्राः पुण्यराशयः।।
प्रतिगृह्णन्तु में ग्रासं, गावस्त्रैलोक्यमातरः॥
इदं गोभ्यः इदं न मम्।।

कुक्कुर बली

श्राद्ध कर्म का दूसरा भोग कर्तव्यनिष्ठा के प्रतीक श्वान (कुत्ता) को खिलाया जाता है। इस भोग को कुक्कर बली के नाम से जानते हैं। इस दौरान यह मंत्र पढ़ना चाहिए।

मंत्र

ॐ द्वौ श्वानौ श्यामशबलौ, वैवस्वतकुलोद्भवौ ।।
ताभ्यामन्नं प्रदास्यामि, स्यातामेतावहिंसकौ ॥
इदं श्वभ्यां इदं न मम ॥

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काक बली

तीसरा भोग मलीनता निवारक काक (कौआ) को खिलाया जाता है। इसलिए इसे काक बली कहते हैं।

मंत्र

ॐ ऐन्द्रवारुणवायव्या, याम्या वै नैऋर्तास्तथा ।।
वायसाः प्रतिगृह्णन्तु, भुमौ पिण्डं मयोज्झतम् ।।
इदं वायसेभ्यः इदं न मम ॥

देव बली

चौथा भोग देवत्व संवधर्क शक्तियों के निमित्त लगाया जाता है। यह भोग किसी छोटी कन्या या गाय को खिलाया जा सकता है। इस भोग को देव बली नाम से जानते हैं।

मंत्र

ॐ देवाः मनुष्याः पशवो वयांसि, सिद्धाः सयक्षोरगदैत्यसंघाः।।
प्रेताः पिशाचास्तरवः समस्ता, ये चान्नमिच्छन्ति मया प्रदत्तम्॥
इदं अन्नं देवादिभ्यः इदं न मम्।।

पिपीलिकादि बली

पंचबली का पांचवां भोग श्रमनिष्ठा एवं सामूहिकता की प्रतीक चींटियों को अर्पित किया जाता है। उनको भोजन देते समय यह मंत्र पढ़ना चाहिए।

मंत्र

ॐ पिपीलिकाः कीटपतंगकाद्याः, बुभुक्षिताः कमर्निबन्धबद्धाः।।
तेषां हि तृप्त्यथर्मिदं मयान्नं, तेभ्यो विसृष्टं सुखिनो भवन्तु॥
इदं अन्नं पिपीलिकादिभ्यः इदं न मम।।

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