Rudrabhishek ke fayde: भगवान शिव का सबसे प्रिय अनुष्ठान महादेव का अभिषेक है। सावन में शिव के जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक का महत्व और भी बढ़ जाता है। मान्यता है कि इससे भगवान भोलेनाथ आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं और इच्छानुरूप फल देते हैं। सूत संहिता, अष्टाध्यायी, शिव पुराण और यजुर्वेद में विभिन्न द्रव्यों से रुद्राभिषेक का फल बताया गया है। आइये जानते हैं किस द्रव्य से रुद्राभिषेक का क्या फल मिलता है।
Rudrabhishek ke fayde: वाराणसी के पुरोहित पं शिवम तिवारी के अनुसार यजुर्वेद के भाष्य में भट्टभास्कराचार्य ने कहा है कि रुद्राध्याय का केवल पाठ ही समस्त कामनाओं की पूर्ति कर देता है। वहीं सूत संहिता में रुद्र की महिमा का बखान करते हुए कहा गया है कि रुद्र का जाप भक्त को सम्यक ज्ञान और मुक्ति देता है। भगवान रुद्र की प्रसन्नता के लिए निष्काम भाव से रुद्रपाठ का अनन्त फल है। वायु पुराणके अनुसार इसके जाप से जीव उसी देह से निश्चित रूप से रुद्र स्वरूप हो जाता है और मुक्ति को प्राप्त होता है। आइये जानते हैं ऐसे रुद्र के अभिषेक का फल
जलेन वृष्टिमाप्नोति व्याधिशांत्यै कुशोदकै।
दध्ना च पशुकामाय श्रिया इक्षुरसेन वै।।
मध्वाज्येन धनार्थी स्यान्मुमुक्षुस्तीर्थवारिणा।
पुत्रार्थी पुत्रमाप्नोति पयसा चाभिषेचनात।।
बन्ध्या वा काकबंध्या वा मृतवत्सा यांगना।
जवरप्रकोपशांत्यर्थम् जलधारा शिवप्रिया।।
घृतधारा शिवे कार्या यावन्मन्त्रसहस्त्रकम्।
तदा वंशस्यविस्तारो जायते नात्र संशय:।।
प्रमेह रोग शांत्यर्थम् प्राप्नुयात मान्सेप्सितम।
केवलं दुग्धधारा च वदा कार्या विशेषत:।।
शर्करा मिश्रिता तत्र यदा बुद्धिर्जडा भवेत्।
श्रेष्ठा बुद्धिर्भवेत्तस्य कृपया शङ्करस्य च!!
सार्षपेनैव तैलेन शत्रुनाशो भवेदिह!
पापक्षयार्थी मधुना निर्व्याधि: सर्पिषा तथा।।
जीवनार्थी तू पयसा श्रीकामीक्षुरसेन वै।
पुत्रार्थी शर्करायास्तु रसेनार्चेतिछवं तथा।।
महलिंगाभिषेकेन सुप्रीत: शंकरो मुदा।
कुर्याद्विधानं रुद्राणां यजुर्वेद्विनिर्मितम्।
5. जल की धारा भगवान शिव को अति प्रिय है, इससे उनका मष्तिष्क शीतल होता है। इसलिए ज्वर के कोप को शांत करने के लिए गंगा जलधारा से महादेव का अभिषेक करना चाहिए।
6. एक हजार मंत्रों से घृत की धारा से रुद्राभिषेक करने पर वंश का विस्तार होता है, इसमें संशय नहीं है।
7. प्रमेह रोग के विनाश के लिए विशेष रूप से केवल दूध की धारासे अभिषेक करना चाहिए, इससे मनोवांछित कामना की भी पूर्ति होती है।
8. बुद्धि की जड़ता को दूर करने के लिए और बुद्धि तेज करने के लिए शक्कर मिले दूध से अभिषेक करना चाहिए, ऐसा करने पर भगवान शंकर की कृपा से उसकी बुद्धि श्रेष्ठ हो जाती है।
9. सरसों के तेल से अभिषेक करने पर शत्रुका विनाश हो जाता है और मधु से अभिषेक करने पर यक्ष्मा रोग (तपेदिक) दूर हो जाता है।
10. पाप क्षय की इच्छा वाले को मधु (शहद) से, आरोग्य की इच्छा वाले को घृत से, दीर्घ आयु की इच्छा वाले को गोदुग्ध से, लक्ष्मीकी कामना वाले को ईख (गन्ने) के रस से और पुत्रार्थी को शर्करा (चीनी) मिश्रित जल से भगवान सदाशिव का अभिषेक करना चाहिए।
नोटः इन द्रव्यों से महालिंग का अभिषेक करने पर भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होकर भक्तों की कामनाओं को पूरा करते हैं। इसके लिए भक्तों को यजुर्वेद में बताए गए नियम से रुद्र का अभिषेक करना चाहिए। इस काम को सोमवार, त्रयोदशी, शिवरात्रि या श्रावण के मास में करने के विशेष लाभ होते हैं।