धर्म-कर्म

Vinayak Chaturthi: ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी पर व्रत और इन मंत्रों के जाप से होती है उन्नति, पढ़ें कब है गणेश पूजा

Vinayak Chaturthi Jyeshtha Month: हर महीने में दो दिन चतुर्थी व्रत रखा जाता है। शुक्ल पक्ष की चतुर्थी पर विनायक चतुर्थी और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर संकष्टी चतुर्थी व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि विनायक चतुर्थी व्रत पर विशेष मंत्रों का जाप करने से उन्नति होती है और हर मनोकामना पूरी होती है। लेकिन ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी विशेष होती है, क्योंकि इस महीने में व्रत कठिन होता है। आइये जानते हैं ज्येष्ठ माह की संकष्टी चतुर्थी कब है और कौन से मंत्र जाप करना चाहिए (Jyeshtha Vinayak Chaturthi mantra) ...

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Jun 07, 2024
ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी 2024

हर चंद्र मास में पड़ती है दो चतुर्थी

हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर चंद्र मास में दो चतुर्थी पड़ती है। यह चतुर्थी तिथि भगवान गणेश की पूजा को समर्पित है। अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी और पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन ही भगवान गणेश का जन्म हुआ था। इसी कारण इस दिन भक्त गणेश जी का जन्मदिन मनाते हैं और व्रत रखते हैं, इसके अलावा इस तिथि को विनायक चतुर्थी, वरद विनायक चतुर्थी के नाम से जानते हैं।


वहीं भक्त हर महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी व्रत रखते हैं। मान्यता है कि इस व्रत से भगवान प्रसन्न होकर हर मनोकामना पूरी करते हैं और जीवन में उन्नति होती है। इसके अलावा जो श्रद्धालु विनायक चतुर्थी का उपवास करते हैं, भगवान गणेश उन्हें ज्ञान और धैर्य का आशीर्वाद देते हैं। विशेष बात यह है कि विनायक चतुर्थी के दिन गणेश पूजा दोपहर को की जाती है।

कब है ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी

ज्येष्ठ शुक्ल चतुर्थी प्रारंभः 9 जून रविवार शाम 03:44 बजे
ज्येष्ठ शुक्ल चतुर्थी समापनः 10 जून सोमवार शाम 04:14 बजे
ज्येष्ठ विनायक चतुर्थीः सोमवार 10 जून 2024, इस दिन 2 घंटे 42 मिनट पूजा का समय है।
विनायक चतुर्थी पूजा का समयः सुबह 10:59 बजे से दोपहर 01:41 बजे

विनायक चतुर्थी गणेशजी पूजा मंत्र

  1. श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभानिर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥
  2. ॐ श्रीम गम सौभाग्य गणपतयेवर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नमः॥
  3. ॐ एकदन्ताय विद्धमहे, वक्रतुण्डाय धीमहि,तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥
Updated on:
07 Jun 2024 05:15 pm
Published on:
07 Jun 2024 05:12 pm
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