Durvasa Rishi: दुर्वासा को महादेव का अंश माना जाता है। उनका जीवन शिव के गुणों और विशेषताओं का प्रतिरूप माना जाता है।
Durvasa Rishi: दुर्वासा ऋषि धार्मिक ग्रंथों के अनुसार श्रेष्ठ और प्रभावशाली ऋषियों में से एक हैं। दुर्वासा अपने क्रोधी स्वभाव और कठोर तपस्या के लिए भी जाने जाते हैं। मान्यता है कि इनके क्रोध से देवता भी भयभीत रहते थे। धार्मिक कथाओं में दर्वासा को भगवान शिव का पुत्र कहा जाता है। लेकिन क्या सच में दुर्वासा ऋषि भगवान शिव के पुत्र थे? आइए जानते हैं।
धार्मिक कथाओं के अनुसार एक बार माता पार्वती और भगवान शिव के बीच एक संवाद हुआ। तब महादेव के तेज का अंश देवी पार्वती जी के भाई विष्णु के अंश से मिलकर दुर्वासा ऋषि के रूप में उत्पत्ति हुई। यही वजह है कि उन्हें शिव का अंश या शिव पुत्र कहा जाता है। मान्यता है कि इनका स्वाभाव भगवान शिव के समान ही तेजस्वी और उग्र था। जिसके कारण उनका नाम दुर्वासा पड़ा। दुर्वासा नाम का अर्थ है जिनके साथ सहवास करना कठिन हो।
दुर्वासा ऋषि का क्रोधी स्वभाव उन्हें भगवान शिव के समान बनाता है। शिव जी का तांडव और संहारक स्वरूप उनके संतुलन और गहन ज्ञान का प्रतीक है। इसी तरह दुर्वासा का क्रोध अक्सर उनके शाप देने की क्षमता में प्रकट होता है, जो समाज और देवताओं के लिए एक चेतावनी बनता था।
माना जाता है कि शिव पुत्र होने के कारण दुर्वासा ऋषि ने कठोर तपस्या और साधना की थी। दुर्वासा अपनी तपस्या के बल पर त्रिकालदर्शी माने जाते थे और उनको ब्रह्मांड के रहस्यों का गहन ज्ञान था।
दुर्वासा ऋषि अपने क्रोध के लिए जितने जाने जाते थे उतने ही दयावान भी थे। क्योंकि महाभारत, रामायण और धार्मिक ग्रंथों में उनका उल्लेख मिलता है तो वह दोनों बातों के उदाहरण हैं। उन्होंने महाभारत में द्रौपदी को अन्न का अपार भंडार देने का आशीर्वाद दिया था। वहीं उनका क्रोध भी विख्यात है उन्होंने इंद्र को दिया शाप दिया था। जिसके कारण स्वर्ग की समृद्धि नष्ट हो गई थी।