
Paush Putrada Ekadashi 2025 : 30 दिसंबर को बन रहा है विशेष संयोग, जानें संतान प्राप्ति के अचूक उपाय
Paush Putrada Ekadashi 2025 : पुत्रदा एकादशी साल में दो बार आती है। एक पौष माह की शुक्ल पक्ष में और दूसरी सावन माह के शुक्ल पक्ष में। इस साल पौष माह की पुत्रदा एकादशी का व्रत 30 दिसंबर को रखा जाएगा। इस व्रत में जगत के पालनहार श्रीहरि विष्णु की पूजा आराधना की जाती है। मान्यता है कि पौष पुत्रदा एकादशी व्रत करने से वाजपेय यज्ञ के बराबर पुण्यफल की प्राप्ति होती है। ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि 30 दिसंबर को पुत्रदा एकादशी व्रत है। इस दिन भरणी नक्षत्र और सिद्ध का विशेष संयोग बना रहेगा। संतान सुख की कामना के लिए पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत बहुत खास माना जा रहा है। धर्म शास्त्रों के अनुसार मुख्य रूप से पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत पुत्र प्राप्ति के लिए रखा जाता है। ऐसे में जो लोग नि:संतान हैं, उनको यह व्रत जरूर रखना चाहिए। इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती।
पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर संतान के सुखद भविष्य और स्वस्थ जीवन के लिए व्रत किया जाता है। पति-पत्नी एक साथ ये व्रत करते हैं तो उनकी संतान से जुड़ी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं। संतान के कार्यों में आ रही बाधाएं दूर हो सकती हैं। माता-पिता ये व्रत संतान की सुखी की कामना से करते हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर के साथ ही पांडवों को भी एकदाशी व्रत के बारे में बताया है। स्कंद पुराण के वैष्णव खंड में एकादशी महात्म्य अध्याय में एकादशियों की कथाएं बताई गई हैं। श्रीकृष्ण ने कहा था कि जो लोग एकादशी व्रत करते हैं, उन्हें सुख-शांति के साथ ही सफलता भी मिलती है। जाने-अनजाने में हुए पापों से मुक्ति मिलती है।
| विवरण | तिथि व समय |
| व्रत तिथि | 30 दिसंबर 2025 |
| एकादशी तिथि प्रारंभ | 30 दिसंबर, सुबह 06:38 बजे |
| एकादशी तिथि समाप्त | 31 दिसंबर, सुबह 04:48 बजे |
| मुख्य योग | भरणी नक्षत्र और सिद्ध योग |
| मुख्य देवता | भगवान श्रीहरि विष्णु एवं माता लक्ष्मी |
ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि पुत्रदा एकादशी 30 दिसंबर को सुबह में 6:38 मिनट पर एकादशी तिथि का आरंभ होगा। अगले दिन 31 दिसंबर को 4:48 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। ऐसे में उदय काल के अनुसार, पुत्रदा एकादशी का व्रत 30 दिसंबर को रखा जाएगा। शास्त्रों के अनुसार, उदयकाल में एकादशी तिथि होने पर ही एकादशी का व्रत करना सर्वोत्तम माना जाता है। साधक स्थानीय पंचांग के अनुसार व्रत रख सकते हैं।
ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि पुत्रदा एकादशी पर सुबह जल्दी उठना चाहिए। स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं। घर के मंदिर में भगवान विष्णु की पूजा करें और व्रत करने का संकल्प लें। इसके बाद भगवान गणेश और फिर भगवान विष्णु-लक्ष्मी की पूजा करें। दक्षिणावर्ती शंख में दूध भरकर श्रीकृष्ण का भी अभिषेक करें। विधिवत पूजा करें। जो लोग एकादशी व्रत करते हैं, उन्हें पूरे दिन अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए। फलाहार करें और दूध पी सकते हैं।
ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि पुत्रदा एकादशी की सुबह घर के मंदिर में भगवान विष्णु और महालक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद शंख में जल और दूध लेकर प्रतिमा का अभिषेक करें। भगवान को चंदन का तिलक लगाएं। चावल, फूल, अबीर, गुलाल, इत्र आदि से पूजा करें। इसके बाद धूप-दीपक जलाएं। लाल-पीले चमकीले वस्त्र अर्पित करें। मौसमी फलों के साथ सुपारी भी रखें। गाय के दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं। भगवान की आरती करें। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें। इस पूजा करने के बाद भगवान से जानी-अनजानी गलतियों के लिए भगवान से क्षमा याचना करें। पूजा के बाद प्रसाद बांटें और खुद भी लें।
ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि इस व्रत को करने से श्रीहरि विष्णु के अलावा मां लक्ष्मी की भी कृपा प्राप्त होती है। धार्मिक मान्यता है कि यदि कोई जातक इस व्रत को विधि पूर्वक करता है, तो जल्द ही उसे संतान सुख की प्राप्ति होती है। इसके अलावा लंबे समय से रुके हुए कार्य भी पूरे हो सकते हैं।
Published on:
22 Dec 2025 10:04 pm
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