शहर से लेकर देहातों में संचालित अधिकतकर पेट्रोल पंपों पर उपभोक्ताओं को मिलने वाली सुविधाओं की अनदेखी हो रही है। इन पेट्रोल पंपों पर न शुद्ध पानी मिलता है और न ही वाहनों भरने के लिए हवा, तो कई पेट्रोल पंप ऐसे हैं जिनमें शौचालय तक की व्यवस्था नहीं और हैं भी तो कबाड़ हालत में है।
-शुद्ध पानी और न हवा उपभोक्ताओं को नहीं मिल रही नि:शुल्क सुविधा
-जंग खाई फायर बकैट और सिलेंडरों से चला रहे काम
जिम्मेदार विभागों का इस ओर कतई ध्यान नहीं, नहीं होती कोई जांच
धौलपुर. शहर से लेकर देहातों में संचालित अधिकतकर पेट्रोल पंपों पर उपभोक्ताओं को मिलने वाली सुविधाओं की अनदेखी हो रही है। इन पेट्रोल पंपों पर न शुद्ध पानी मिलता है और न ही वाहनों भरने के लिए हवा, तो कई पेट्रोल पंप ऐसे हैं जिनमें शौचालय तक की व्यवस्था नहीं और हैं भी तो कबाड़ हालत में है। सबसे बड़ी बात यह है कि एक भी पेट्रोल पंप के पास फायर एनओसी तक नहीं है।शहर में एक दर्जन के आसपास पेट्रोल पंपों का संचालन किया जा रहा है। जिनमें से अधिकांश पेट्रोल पंपों पर उपभोक्ता को मिलने वाली नि:शुल्क सुविधाओं से महरूम किया जा रहा है। ऐसा नहीं है कि यह सुविधाएं सिर्फ उपभोक्ताओं को ही दी जाती हैं, बल्कि पेट्रोल पंप संचालन के लिए भी हवा मशीन और पेयजल के वॉटर कूलर, महिला और पुरुषों के लिए अलग-अलग शौचालय, प्रदूषण यंत्र होना नियमानुसार है, लेकिन अधिकतर पेट्रोल पंपों पर हवा और पानी से लेकर शौचालय तक नदारद हैं, जहां हैं वहां यह गंदे और बंद हैं। महिलाओं के लिए अलग से शौचालय नहीं हैं। पेट्रोल और डीजल की ताजा कीमतें बताने वाले डिस्प्ले बोर्ड तक नहीं हैं जहां हैं वहां धुंधले हैं। पेट्रोल का घनत्व बताने वाले डिजिटल बोर्ड भी बदरंग है। वहीं, किसी उपभोक्ता को अगर मापकर पेट्रोल चाहिए तो उसको मापक यंत्र उपलब्ध नहीं कराया जाता है। जिससे घटतौली की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। पेट्रोल पंप संचालकों की मनमानी से उपभोक्ता उपेक्षा के शिकार हो रहे हैं।
कहीं कूलर खराब मिला तो कहीं कंडम कंपे्रशर
पेट्रोल पंप पर तेल लेने के लिए आने वाले ग्राहकों को मूलभूत सुविधाएं देनी होती है। पेट्रोल पंप के संचालक भी मानक पूरा करने का शपथ पत्र देते हैं। आलम यह है कि किसी पेट्रोल पंप पर टायर में हवा डालने का कंप्रेशर नहीं है तो कहीं पेयजल सुविधा का अभाव है। महिलाओं के लिए अलग से शौचालय की सुविधा भी कई जगह नहीं है। शिकायत मिलने के बाद शहर के पेट्रोल पंपों की जांच पड़ताल की गई तो धूलकोट रोड स्थित पेट्रोल पंप का वाटर कूलर खराब हालत में मिला, जहां उपभोक्ताओं के लिए पानी की कोई व्यवस्था तक नहीं थी। इसके अलावा जिरोली स्थित पेट्रोल पर लगी फायर बाल्टियां भी कबाड़ हालत में थीं तो वहीं हवा फरने वाला कंप्रेशर भी कंडम हालत में मिला। ओंडेला रोड स्थित पेट्रोल पंप पर आगजनी से निपटने के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी, लेकिन पत्रिका टीम को देख पेट्रोल पंप कर्मी दौडक़र अंदर से सिलेंडर लेकर आए।
कंडम सिलेंडरों से चला रहे काम
जानकारी के अनुसार सबसे बड़ी बात यह है कि शहर में संचालित एक दर्जन पेट्रोल पंपों पर किसी के पास भी फायर एनओसी तक नहीं है। अब ऐसी स्थिति में अगर आगजनी की कोई अप्रिय घटना घटित होती है तो कैसे पेट्रोल पंप संचालक उस स्थित से निपटेंगे, जबकि पेट्रोल पंप संचालन के लिए फायर एनओसी का भी होना अनिवार्य है। जिसके बावजूद भी न तो संचालकों उपभोक्ताओं की सेफ्टी को ध्यान में रखकर फायर एनओसी लेते हैं और न जिम्मेदार विभाग न पेट्रोल पंपों की जांच पड़ताल करते हैं। हां कुछ पेट्रोल पंपों पर आग बुझाने वाले सिलेंडर जरूर मिल जाएंगे, लेकिन वह भी जंग खाए हुए होते हैं जिन्हें देखकर लगता है कि वह सही कार्य कर पाएंगे या नहीं और न ही उनपर एक्सपायरी तिथि भी अंकित होती है। ऐसे में कोई अनहोनी होती है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा?
यह मिलती है उपभोक्ताओं को सुविधा
फायर एनओसी- यह सुनिश्चित करता है कि पेट्रोल पंप पर आग से बचाव के लिए सभी आवश्यक उपाय मौजूद हैं। इसमें अग्निशमन उपकरण और आपातकालीन निकासी योजना शामिल होती है।
पानी- पेट्रोल पंपों पर साफ-सफाई और अन्य आपातकालीन स्थितियों के लिए पानी की उपलब्धता भी एक मानक है।
हवा- हालांकि सभी पेट्रोल पंपों में हवा की सुविधा मुफ्त में देना अनिवार्य नहीं है, लेकिन कुछ पंपों पर मुफ्त हवा की सुविधा दी जाती है।
शौचालय- पेट्रोल पंपों पर उपभोक्ताओं के शौचालय की व्यवस्था जरूरी होती है। इसमें पुरुषों की अलग और महिलाओं की अलग होनी चाहिए।
प्रदूषण नियंत्रण- पेट्रोल पंपों को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से भी अनुमति लेनी पड़ती है, जो हवा और पानी की गुणवत्ता को बनाए रखने में मदद करता है।