पुराने समय में बावडिय़ां और कुआं इत्यादि पानी के मुख्य स्रोत हुआ करते थे। लेकिन समय के बदलाव और पेयजल लाइनें बिछने के बाद इन पुराने स्रोतों को भूला दिया गया।
- बेजोड़ नक्काशी और पानी के बड़े स्रोत हैं बावडिय़ां
- ऐतिहासिक धरोहर को पर्यटन और जिला प्रशासन ने भुलाया
धौलपुर. पुराने समय में बावडिय़ां और कुआं इत्यादि पानी के मुख्य स्रोत हुआ करते थे। लेकिन समय के बदलाव और पेयजल लाइनें बिछने के बाद इन पुराने स्रोतों को भूला दिया गया। वैसे तो प्रदेश में कई स्थानों पर बावडिय़ां मौजूद हैं लेकिन धौलपुर की ऐतिहासिक बावडिय़ां पर भी अपनी खास पहचान रखती हैं। लेकिन रख-रखाव नहीं होने और ध्यान नहीं देने से अब यह बावडिय़ां अपना अस्तित्व बचाने की जंग लड़ रही हैं। विशेष बात ये है कि कई स्थानों पर इन बावडिय़ों को देखने पयर्टक पहुंचते हैं लेकिन धौलपुर शहर में पर्यटन और न ही जिला प्रशासन इन बावडिय़ां का प्रचार प्रसार कर पाया। हाल ये है कि बावडिय़ों की जानकारी शहर के युवा वर्ग तक को नहीं है। इसकी वजह प्रचार प्रसार नहीं होना और बावडिय़ों के स्थान बताने के लिए इनके आसपास सडक़ पर कोई बोर्ड तक नहीं है।
अद्भुत हैं पुरानी सब्जी मंडी की बावड़ी
शहर में पुरानी सब्जी मण्डी स्थित ऐतिहासिक बावड़ी मौजूद है। लेकिन इस तक पहुंचने का रास्ता बेहदर सकरा है और प्रचार प्रसार के अभाव में शहर के युवाओं को भी इस बावड़ी की कम ही जानकारी है। नक्काशी दार ये बावड़ी अपना अलग की सौन्दर्य बिखेरती है। इसको पातालतोड़ बावड़ी कहा जाता है। इसके अन्दुरुनी स्त्रोत वेग को काम में लाने के लिए बड़ा कुआं बना हुआ है। यह बावड़ी सात मंजिला है ओर सातों मंजिलों की बनाबट एक जैसी है। इसकी चार मंजिल पानी की सतह के नीचे हैं और तीन ऊपर हैं। इसके दोनों ओर भव्य दालान बने हैं। जिनमे चार-चार दरवाजे हैं। बावड़ी का घेरा लगभग 135 मीटर और गोलाई में 16 सुन्दर दरवाजे बने हैं।
लाखों का काम हुआ, फिर गेट पर लगा दिया ताला
इसी तरह शहर में स्टेशन रोड स्थित बाग भवा साहब बाड़े में हनुमान मंदिर के पास भी प्राचीन बावड़ी मौजूद है। खराब हालत में बनी इस बावड़ी की कुछ साल पहले मरम्मत कराई गई। साथ ही एक गेट भी लगा दिया। लेकिन गेट पर ताला लगा होने से यहां अंदर कोई नहीं जा पाता है। वहीं, अनदेखी के चलते बावड़ी के पर कोटे में लोग कचरा डाल डाल रहे हैं, जिससे इनकी महत्वता पर प्रश्न चिह्न लगा हुआ है। इसी तरह शहर में चोपड़ा मंदिर के पास भी ऐतिहासिक बावड़ी बनी हुई है। यहां पर आसपास गंदगी होने से लोग इससे दूरी बनाए हुए हैं। जबकि ये बावड़ी पुरामहत्व का बेजोड़ नमूना हैं।