.कुदरत ने आसमानी आफत के रूप में अन्नदाता को फिर अपनी चपेट में ले लिया। लगातार हो रही बारिश से खेत जलमग्न हो रहे हैं। खेतों में खड़ी खरीफ की फसल प्रभावित हो रही है तो रवी की फसल को भी भारी नुकसान पहुंचा है। कृषि विभगा का कहना है कि किसान घबराएं नहीं धूप आने के बाद स्थिति सामान्य हो सकती है।
-जिले भर में सरसों की 125 हेक्टेयर फसल होगी प्रभावित
-खेतों में भरा पानी, बाजरा का दाना पड़ेगा काला, तो करव भी गली
धौलपुर.कुदरत ने आसमानी आफत के रूप में अन्नदाता को फिर अपनी चपेट में ले लिया। लगातार हो रही बारिश से खेत जलमग्न हो रहे हैं। खेतों में खड़ी खरीफ की फसल प्रभावित हो रही है तो रवी की फसल को भी भारी नुकसान पहुंचा है। कृषि विभगा का कहना है कि किसान घबराएं नहीं धूप आने के बाद स्थिति सामान्य हो सकती है।
इस सीजन भारी बारिश से जहां खरीफ की फसल पहले ही संकट में आ गई थी। उसके बाद अब जाता मानसून किसान की रही सही उम्मीदों पर पानी फेर गया। सितंबर माह के बाद मंगलवार सुबह से हो रही बारिश से खरीफ की फसल को नुकसान पहुंचने का अंदेशा है। खेतों में अभी बाजरा की फसल खड़ी है, किसान लामनी कर रहा है। जिले के बाड़ी, बसेड़ी, राजाखेड़ा और सैंपऊ उपखण्ड में कई जगह बाजरा फसल कट कर खेतों में पड़ी है तो कई जगह अभी फसल की कटाई भी नहीं हो सकी है, लेकिन उससे पहले ही बारिश ने किसानों की उम्मीदों को तोड़ दिया। इस पानी से न बाजरा का दाना काला काला पड़ जाएगा तो वहीं मवेशियों के लिए निकलने वाला चारा यानी करव भी गलने की स्थिति में है।
मिट्टी में धंस जाएगा सरसों का बीज
बेमौसम बारिश से खरीफ की फसल प्रभावित होगी तो रवी की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। कृषि विभाग ने इस सीजन 1 लाख 40 हजार हेक्टेयर रवी फसल का लक्ष्य रखा है। जिसमें से 90 हेक्टेयर सरसों की फसल के लिए आवंटित है। अनुकूल परिस्थिति देख किसानों ने अभी तक जिले भर में 125 हेक्टेयर सरसों की बुवाई कर दी, जो कि इस आफतरूपी बारिश से फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। क्योंकि अभी सरसों का बीज अंकुरित स्थिति में है और भारी बारिश से बीज धरती में ही बैठ जाएगा, जिससे फसल प्रभावित होगा और किसानों को अच्छा खासा नुकसान उठाना पड़ेगा।
बारिश के बाद जिले में क्या स्थिति
जिले भर में हो रही लगातार बारिश से खरीफ और रवी की फसल को नुकसान पहुंचा है। धौलपुर के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों सहित राजाखेड़ा, सैंपऊ बाड़ी और बसेड़ी में सैकड़ों हेक्टेयर बाजरे की फसल को नुकसान पहुंचने की संभावना है। जिले भर में 200 हेक्टेयर के आसपास भी बजारे की फसल खड़ी है। तो सैकड़ों हेक्टेयर में फसल कट कर रखी हुई है। इस पानी से जहां बाजरा के दानों में कालापन आएगा तो वहीं करव भी गल कर खत्म हो चुकी है।
किसान बोले:खेती अब घाटे का सौदा
किसान महेश शर्मा, रामदीन और सुरेश ने बताया कि लगातार बारिश से खरीफ की फसलों को नुकसान हुआ। जिले में बाजरा, दलहन, तिलहन, ग्वार, ज्वार, मक्का जैसी फसलें पानी में डूबकर नष्ट हो गईं। उम्मीद थी कि रबी की फसल से कुछ राहत मिलेगी, लेकिन सितंबर के आखिरी में और अब हुई तेज बारिश ने यह उम्मीद भी तोड़ दी। कई किसानों ने सरसों के साथ आलू की बुवाई शुरू की, लेकिन खेतों में पानी भरने से ये सडऩे लगी है। किसानों ने बताया कि फसल बर्बाद होने के साथ चारा भी नष्ट हो गया है। बाजरे की करब के साथ हरा चारा खेतों में सड़ चुका है। करब नहीं होने से उसके दामों में भी भारी वृद्धि देखने को मिलेगी। जो कि मवेशियों के सामने पेट भरने की स्थिति में संकट खड़ा करेगी।
सरसों, गेहूं की बुवाई कब तक करें
कृषि विभाग के अनुसार सरसों की फसल का बुवाई समय 15 सितम्बर से 15 अक्टूबर तक होता था, लेकिन मौसम परिवर्तन के साथ अब पूरे अक्टूबर माह तक किसान सरसों की बुवाई कर सकता है। तो रवी की फसल गेहूं, चना की बुवाई के लिए 15 नवंबर तक का समय सबसे अच्छा रहता है। एक्सपर्ट बताते हैं कि यदि खेतों में नमी का स्तर 50 प्रतिशत से अधिक रहता है, तो उत्पादन 15 से 20 प्रतिशत तक बढ़ सकता है।
1 लाख 46 हजार 560 हेक्टेयर बुवाई
कृषि विभाग ने इस बार जिले भर में रबी फसल की बुवाई 1,46,560 हेक्टेयर रखी है। इसमें गेहूं 60,462, सरसों 90 हजार, चना 495, आलू 6000, तारामीरा 15 हेक्टेयर समेत सब्जी व अन्य 7851 हेक्टेयर में बुवाई की जाती है। लगातार दो सीजन के नुकसान से किसान गहरी चिंता में हैं। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अगर आने वाले दिनों में मौसम सामान्य रहा तो किसान कुछ हद तक नुकसान की भरपाई कर सकते हैं।
जिले के उपखंडों में अभी बाजरा की फसल खड़ी है, तो कई जगह कट कर खेतों में है। हालांकि अभी पानी के बाद धूप खिल जाए तो बाजरा में ज्यादा नुकसान न हो, लेकिन आगे भी बारिश होती है तो फसल को नुकसान हो सकता है। तो सरसों की फसल को इस पानी से नुकसान होगा। सरसों के बीज अभी अंकुरित हालात में हैं जो कि इस पानी से मिट्टी में ही धस जाएंगे।
-पीडी शर्मा, सहायक निदेशक कृषि विभाग