सालों से कुर्सी पर जमे प्रधानाचार्य शिक्षा विभाग के आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए कुर्सी नहीं छोड़ रहे। विभाग ने ऐसे प्रधानाचार्यों को 7 दिसंबर तक पद मुक्त के साथ नवीन पदस्थापना पर कार्यभार ग्रहण करने के आदेश दिए थे, लेकिन उसके बाद भी कोई प्रधानाचार्य स्टे ले आया तो शेष अपनी हठधर्मिता दिखाते हुए कुर्सी छोडऩे को तैयार नहीं, जबकि कुछ दिनों बाद प्रधानाचार्यों की काउंसलिंग प्रक्रिया प्रारंभ होने वाली है।
-विभाग का ढुलमुल रवैया कई प्रधानाचार्य ले आए कोर्ट का स्टे
-कुर्सी नहीं छोडऩे पर प्रधानाचार्यों की काउंसलिंग पर भी सवाल
धौलपुर.सालों से कुर्सी पर जमे प्रधानाचार्य शिक्षा विभाग के आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए कुर्सी नहीं छोड़ रहे। विभाग ने ऐसे प्रधानाचार्यों को 7 दिसंबर तक पद मुक्त के साथ नवीन पदस्थापना पर कार्यभार ग्रहण करने के आदेश दिए थे, लेकिन उसके बाद भी कोई प्रधानाचार्य स्टे ले आया तो शेष अपनी हठधर्मिता दिखाते हुए कुर्सी छोडऩे को तैयार नहीं, जबकि कुछ दिनों बाद प्रधानाचार्यों की काउंसलिंग प्रक्रिया प्रारंभ होने वाली है।
राज्य भर के साथ जिले में तीन माह पहले 80 प्रधानाचार्यों को इधर से उधर किया था। जिनमें से कई को जिले से बाहर भेजा गया था, तो कई को जिले में तैनाती दी गई थी, लेकिन नई पदस्थापना के तीन माह बाद भी जिले के लगभग दो दर्जन प्रधानाचार्यों ने अपनी नई पदस्थापना पर कार्य ग्रहण नहीं किया। पत्रिका समाचार पत्र ने भी खबर प्रकाशित कर मामले को जिम्मेदारों के संज्ञान में भी डाला। जिसके कुछ दिनों बाद शिक्षा विभाग ज्वाइंट डायरेक्टर ने ऐसे प्रधानाचार्यों को ७ दिसंबर तक की डेडलाइन देकर अपनी नई पदस्थापना पर कार्य ग्रहण करने का आदेश दिया था, लेकिन डेडलाइन गुजर जाने के बाद कई प्रधानाचार्य शहर के मोह के चक्कर में कुर्सी छोडऩे को तैयार नहीं। इन प्रधानाचार्यों में से कई स्टे तक ले आया है तो कोई अपनी हठधर्मिता दिखा रहा है। इससे पहले निदेशक माध्यमिक शिक्षा की ओर से 22 सितंबर को 4527 जारी की गई प्राचार्य स्थानांतरण सूची में सभी शिक्षा अधिकारियों को शाला दर्पण पोर्टल के माध्यम से तत्काल कार्य मुक्ति कार्यक्रम कर इस कार्यालय को अवगत कराने के निर्देश दिए गए थे।
धौलपुर ब्लॉक के चार प्रधानाचार्य
जिले में लगभग दो दर्जन प्रधानाचार्य ऐसे हैं जो कि आदेशों के बाद भी अपनी कुर्सी नहीं छोड़ रहे हैं। हालांकि इनमें से कई स्टे तक ले आया है। इन प्रधानाचार्यों में धौलपुर ब्लॉक के चार प्रधानाचार्य हैं। इनमें बृजेन्द्र सिंह राजपूत को बीलपुर माध्यमिक विद्यालय से छावर करौली स्थानांतरण किया था, लेकिन यह कोर्ट से स्टे ले आए। इसके अलावा से वेदप्रकाश कर्दम को माध्यमिक विद्यालय भोयल बारा स्थानातंरण किया था जिसके बाद यह भी स्टे ले आए। तो दो प्रधानाचार्य जगदीश प्रसाद टांडा से झालावाड़, नरेश कुमार जैन पीएमश्री बाड़ा हैदरशाह से गुराडिया जोग माध्यमिक विद्यालय झालावाड़ स्थानांतरण किया गया लेकिन यह आदेशों को धता बताते हुए अभी कुर्सी में जमे हुए हैं।
शिक्षा विभाग का ढुलमुल रवैया
राज्य शिक्षा विभाग ने प्रधानाचार्यों के स्थानांतरण लगभग तीन माह पहले किए थे। जिसके बाद जिले के कुछ प्रधानाचार्यों को तो जिला शिक्षा विभाग ने कार्य मुक्त कर दिया, लेकिन दो दर्जन प्रधानाचार्य अपनी शक्ति के चलते शहर छोडऩे को राजी नहीं हुए और अभी भी कुर्सियों पर जमे हैं। अब देखने वाली बात यह है कि शिक्षा विभाग ने इन प्रधानाचार्यों को इतना वक्त क्यों दिया। तीन माह के दौरान क्यों इन प्रधानाचार्यों को नोटिस जारी कर पद मुक्त करने के आदेश नहीं दिए। समय मिलने के कारण अब यह प्रधानाचार्य आदेश के खिलाफ स्टे तक ले आए हैं।
पद मुक्त नहीं तो काउंसलिंग कैसे होगी
राज्य भर सहित जिले में प्रधानाचार्यों की काउंसलिग प्रक्रिया भी प्रारंभ होने वाली है। जिसको लेकर प्रधानाचार्य अपने पसंदीदा क्षेत्र समग्र शाला पोर्टल पर दर्ज करा रहे हैं और १५ दिसंबर को यह बंद हो जाएगी। अब सोचने वाली बात यह है कि जो प्रधानाचार्य धौलपुर जिला आना चाहते हैं वह कैसे आ पाएंगे। क्योंकि पहले से ही यह प्रधानाचार्य अपने पैर कुर्सियों पर जमाए हुए हैं। जिससे जिले में प्रधानाचार्यों की काउंसलिंग का कोई महत्व ही नहीं होगा।
स्थानांतरण के बाद पद नहीं छोडऩे वाले प्रधानाचार्यों के लिए 7 दिसंबर तक समय सीमा दी गई थी। जिसके बाद विभाग ऐसे प्रधानाचार्यों को नोटिस देकर जवाब तलक कर अनुशासनात्मक कार्रवाई करेगा।
-महेश मंगल, मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी