- बरसात में सर्पदंश के होते हैं शिकार, एंटी स्नेक वेनम की नहीं कमी - वर्षा शुरू होते ही बिलों से निकल कर सांप मार रहे फुस्कार
- बरसात में सर्पदंश के होते हैं शिकार, एंटी स्नेक वेनम की नहीं कमी
- वर्षा शुरू होते ही बिलों से निकल कर सांप मार रहे फुस्कार
धौलपुर. वर्षा शुरू होते ही खेत खलिहानों और जंगलों में सांपों के बिलों में पानी भर गया है। इससे अब सांप सूखी भूमि पर आकर फुस्कार मार रहे है। पैर पड़ते ही यह लेागों को डस रहे है। इससे सर्पदंश की घटनाएं बढ़ जाती है। स्वास्थ्य विभाग ने सभी अस्पतालों में एंटी स्नेक वेनम (सर्पदंश से बचाव में के लिए दी जाने वाली दवा) का पर्याप्त स्टाक रखने के इंतजाम किए है।
हर साल वर्षा शुरू होते ही सर्पदंश की घटनाएं बढ़ती हैं। सर्पदंश के शिकार होकर पीडि़त सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर पहुंच रहे हैं। लेकिन कई सीएचसी पर एंटी स्नेक वेनम वैक्सीन नहीं होने के चलते वह जिला अस्पताल का रूख करते है। जहां पर सर्पदंश के शिकार हुए पीडि़त को इंजेक्शन के साथ इलाज शुरू कर दिया जाता है। जिले में एंटी स्नेक वेनम वैक्सीन की 495 वॉयल उपलब्ध है। जिसमें से 277 ड्रग हाउस स्टोर में रखे हुए हैं तथा जिला अस्पताल के स्टोर में 211 वैक्सीन की वॉयल रखी हुई है। सभी ब्लॉकों में जिस सीएचसी पर इसकी मांग होती है वहां पर वैक्सीन उपलब्ध करा दी जाती है। वहीं जिला अस्पताल में गुरुवार को 211 एंटी वेनम वैक्सीन स्टोर रखी हुई थी। इसके साथ ही अस्पताल के आईसीयू, इमरजेंसी आदि में इंजेक्शन दे दिए गए हैं। अस्पताल में सर्पदंश से पीडि़त आने वाले मरीजों की जांच के साथ ही एंटी वेनम इंजेक्शन लगाए जाते हैं।
85 फीसदी सांपों में नहीं होता जहर
अस्पताल के फिजिशियन डॉ.दीपक जिंदल ने बताया कि 85 प्रतिशत से अधिक सांपों में जहर नहीं होने का फायदा झाडफ़ंूक करने वाले उठाते हैं। कई बार सांप पास से या शरीर के किसी अंग से बिना डसे निकल जाता है। उसके बाद भी लोग देशी उपचार करने वालों के पास पहुंच जाते हैं। झाडऩे से सांप का काटा सही होना मानकर लोग अंधविश्वास में फंस जाते हैं। हकीकत यह होती है कि या तो सांप ने काटा नहीं होता है या फिर वो सांप जहरीला नहीं होता है, लेकिन जिस व्यक्ति को जहरीले सांप ने काटा होता है। उस पर झाडफ़ूंक का कोई असर नहीं होता। समय निकल जाने पर जब परिजन मरीज को लेकर अस्पताल पहुंचते हैं तो एंटी वेनम इंजेक्शन भी असर नहीं कर पाता। इसलिए समय पर सरकारी अस्पताल पहुंचकर चिकित्सक से इलाज कराएं।
सांप के काटने की पहचान
- कटी हुई जगह पर दांतों के निशान, हल्का दर्द व उसके चारो तरफ लाल हो जाना
- काटी हुई जगह पर त्वचा बहुत अधिक लचीली व सूजन आ जाती है।
- बेहोशी, सांस लेने में तकलीफ, खून के धब्बे उभरना तथा पसीना आना
- पीडि़त को जहां काटा है उस अंग को ज्यादा इधर-उधर न करें
- जख्म को बिल्कुल न छेड़े और न ही उसे बार-बार छुएं- जख्म में किसी तरह का लेप व लोशन न लगाएं।- झाड़-फंूक के चक्कर में न पड़े, तत्काल किसी वाहन से अस्पताल पहुंचे।
ये सावधानियां बरते
- लेटने-बैठने वाले में कमरे में अनाज का भंडारण न करें।
- खेतों में जूते पहनकर जाएं और रात को टॉर्च और डंडा लेकर ही घर से बाहर निकलें।
- घर में रखें लकडिय़ों का ढेर व टूटे फर्नीचर को सावधानी से हटाएं।
- पानी निकलने वाले होल पर जाली लगाकर रखें।
- घर के आसपास पानी एकत्रित न होने दे।
अस्पताल में एंटी स्नेक वेनम इग्जेक्शन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। अगर किसी को सांप काट लेता है तो वह सरकारी अस्पताल में आकर इलाज कराएं, जिससे वह जल्द सहीं हो सके।
- डॉ. विजय सिंह, पीएमओ जिला अस्पताल धौलपुर