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 राजाखेड़ा उपखंड में विद्युत निगम की लापरवाही जान पर भारी

राजाखेड़ा उपखंड क्षेत्र में चहुंओर खेतो में जमीन पर मौत का सामान खुला बिखरा पड़ा है। जिसकी चपेट में आकर कभी भी कहीं भी कोई मानवीय जीवन या जीव जंतुओं की जान पलभर में जा सकती है। लेकिन विद्युत निगम की लापरवाही को अब लोग कथित आपराधिक लापरवाही की संज्ञा देते नजर आ रहे है। इन जमीन पर या अनियमित तरीके से रखे इन ट्रांसफार्मरों से लगातार अनेक हादसों से लोगो मे डर का माहौल है। लेकिन निगम के अद्धिकारियो का ध्यान सिर्फ छोटी छोटी विद्युत चोरियो पर कार्यवाही कर सुर्खियां बटोरने तक ही सीमित है। इस सबका खामियाजा आम आदमी को उठाना पड़ रहा है । इन ट्रांसफॉर्मरों की चपेट में आकर जहां पिछले वर्षों में अनेक मानवीय जीवन जा चुके हैं।

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राजाखेड़ा उपखंड में विद्युत निगम की लापरवाही जान पर भारी Negligence of Electricity Corporation in Rajakheda subdivision is fatal

- ठेकेदारों के कार्यों को जांचते तक नहीं जिम्मेदार, हो जाता है भुगतान

dholpur. राजाखेड़ा उपखंड क्षेत्र में चहुंओर खेतो में जमीन पर मौत का सामान खुला बिखरा पड़ा है। जिसकी चपेट में आकर कभी भी कहीं भी कोई मानवीय जीवन या जीव जंतुओं की जान पलभर में जा सकती है। लेकिन विद्युत निगम की लापरवाही को अब लोग कथित आपराधिक लापरवाही की संज्ञा देते नजर आ रहे है। इन जमीन पर या अनियमित तरीके से रखे इन ट्रांसफार्मरों से लगातार अनेक हादसों से लोगो मे डर का माहौल है। लेकिन निगम के अद्धिकारियो का ध्यान सिर्फ छोटी छोटी विद्युत चोरियो पर कार्यवाही कर सुर्खियां बटोरने तक ही सीमित है। इस सबका खामियाजा आम आदमी को उठाना पड़ रहा है । इन ट्रांसफॉर्मरों की चपेट में आकर जहां पिछले वर्षों में अनेक मानवीय जीवन जा चुके हैं। वही सैकड़ो निराश्रित गौवंश व अन्य जीव भी अपनी जान गंवा चुके है। लेकिन अब तक न इनको सही किया गया और न ही इस आपराधिक लापरवाही के जिम्मेदार अधिकारी, कर्मचारियों, ठेकेदारों के विरुद्ध ही कोई कानूनी कार्यवही की गई है । वही इस सबमे अधिकारियो के चहेते ठेकेदार भी बड़ी मलाई उतार रहे है और जमीनी हालात बेहद विकट बने हुए हैं।

विभाग के ठेकेदार करते हैं इंस्टालेशन कार्य

लंबे समय की वेटिंग के बाद जब कृषक को कृषि कनेक्शन जारी होता है तो वह जितना भी समान निगम देता है उसे जल्द से जल्द खेतों पर पहुंचाकर अपना कनेक्शन चालू करना चाहता है। लेकिन इंस्टालेशन कार्य को निगम में ठेकेदारों के माध्यम से कराया जाता है। ऐसे में ठेकेदार कार्य को जानबूझकर देरी से कर किसान को परेशान करने का प्रयास करते है। मजबूरन किसान को अपनी सूखती फसलों का हलक तर करने के लिए ठेकेदार के ही लोगो से निजी तौर पर कनेक्शन चालू करवा लिया जाता है और उसके लिए भी उससे मजबूरन भुगतान ले लिया जाता है। जबकि इस कार्य के लिए भुगतान निगम की ओर से ठेकेदारों को दिया जाता है। सरकारी दर से पूरा भूगतान लेने के बाद भी किसान का कार्य आधा अधूरा छोडक़र कनेक्शन जमीन पर ही चालू कर दिया जाता है।कई बार कुछ किसान भी नया बोरिंग करवाते है तो विद्युत लाइन को निजी तौर पर स्थानांतरित करवा लेते हैं और यह जमीन पर रखवा देते है। जो सार्वजनिक मौत के सामान साबित होते है। ऐसे किसानों की संख्या भी बहुतायात में है। अनेक बार फीडर इंचार्ज की मिलीभगत से भी सूखे कुएं के कनेक्शन अवैध तरीके से बेच कर खरीदने वाले के खेतों पर आनन फानन में जमीन पर ही चालू कर दिया जाता है। अभी इसी माह मनियां इलाके मे ऐसा ही एक फर्जीवाडा पकड में आया था जिसकी प्राथमिकी दर्ज करवाई गई थी और प्रकरण खासा सुर्खियों में रहा था।

ठेकेदारों पर बड़ी मेहरबानी!

विद्युत निगम के अधिकारियो की मेहरबानी से ठेकेदारों की भी पौ बारह हो रही है और इस गोरखधंधे में बड़ी मलाई उतार रहे हैं। उधर इंस्टालेशन के नाम पर सरकार से भी कीमत ओर किसान से भी फिर भी मौत का सामान जमीन पर। यह हालत अचानक नहीं बने वरन आधा दशक से अधिक समय से चले आ रहे हैं, पर किसी भी स्तर पर सुधार नहीं आ पाया है।

फीडर सुधार कार्यक्रम पर करोड़ों खर्च नतीजा सिफर

सबसे आष्चर्यजनक तथ्य यह है कि पिछले डेड दशक में फीडर सुधार कार्यक्रम एफआरपी के नाम पर निगम ने करोड़ों रुपए खर्च किए है लेकिन आम नागरिक अब सवाल खड़ा कर रहे है कि बड़ी राशि खर्च के बाद भी आखिर फीडर खस्ताहाल क्यों हें।

- ऐसे सभी ट्रांसफॉर्मर के मालिकों की सूची तैयार हो रही है। अधिकांश किसानों ने ही स्थान परिवर्तन कर ऐसे हालात बनाए है। इनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करवाई जा रही है

- विशाल जायसवाल, कनिष्ठ अभियंता ग्रामीण विद्युत निगम राजाखेड़ा