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लोग पूंछें एक ही सवाल…तोडफ़ोड़ तो की कहां है शहर का विकास

नगर परिषद के किए अनैतिक कार्य अब तो शहरवासियों के लिए आफत बनती जा रहे हैं। दरअसल अतिक्रमण के नाम पर परिषद ने जगह-जगह तोड़ फोड़ तो कर डाली, लेकिन उन स्थानों को अभी तक विकसित नहीं किया गया, बल्कि तोडफ़ोड़ के बाद अभी भी कई स्थानों पर मलबा पड़ा है। जो लोगों के लिए आफत तो बना ही है, बल्कि यातायात व्यवस्था में भी बाधक बन रहा है।विकास के नाम पर शहर भर में की गई तोडफ़ोड़ शहरवासियों के साथ शहर के लिए भी नासूर बनता जा रहा है। जगह-जगह बिखरा मलबा और उसमें होती गंदगी पहले से ही बदरंग धौलपुर का रंग और फीक कर रहा है, लेकिन नगर परिषद सहित शहर प्रशासन का इस ओर कतई ध्यान नहीं है।

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लोग पूंछें एक ही सवाल...तोडफ़ोड़ तो की कहां है शहर का विकास People ask only one question...demolition has been done, where is the development of the city?

-अतिक्रमण हटाओ अभियान के दस माह बाद भी जमीं पर नहीं कोई कार्य

-पहले से भी बदतर हुए शहर के हालात, परिषद नहीं दे रही ध्यान

-अभियान के बाद मण्डी चौराहा पर हालात और बिगड़े, पड़ा मलबा

धौलपुर. नगर परिषद के किए अनैतिक कार्य अब तो शहरवासियों के लिए आफत बनती जा रहे हैं। दरअसल अतिक्रमण के नाम पर परिषद ने जगह-जगह तोड़ फोड़ तो कर डाली, लेकिन उन स्थानों को अभी तक विकसित नहीं किया गया, बल्कि तोडफ़ोड़ के बाद अभी भी कई स्थानों पर मलबा पड़ा है। जो लोगों के लिए आफत तो बना ही है, बल्कि यातायात व्यवस्था में भी बाधक बन रहा है।विकास के नाम पर शहर भर में की गई तोडफ़ोड़ शहरवासियों के साथ शहर के लिए भी नासूर बनता जा रहा है। जगह-जगह बिखरा मलबा और उसमें होती गंदगी पहले से ही बदरंग धौलपुर का रंग और फीक कर रहा है, लेकिन नगर परिषद सहित शहर प्रशासन का इस ओर कतई ध्यान नहीं है। बात एक जगह की नहीं शहर के अन्यंत्र स्थानों पर ऐसा ही हालात हैं, मगर सबसे ज्यादा परेशानी पुरानी मंडी चौराहा के पास निर्मित है। जहां अक्रिमण के नाम पर आज से चार माह पहले की गई कच्ची और पक्की दुकानों की तोडफ़ोड़ के बाद न तो पूर्ण रूप से मलबे का उठान किया गया और न ही उक्त स्थान को सुदृढ़ किया गया। सुदृढ़ तो छोडि़ए बल्कि उक्त स्थान पर फैली गंदगी तक को अभी तक सही नहीं कर सके। जिसका परिणाम आज चौराहा स्थित दुकानदार सहित आम राहगीर भुगत रहे हैं। परिषद ने मण्डी चौराहा पर जो दुकानें तोड़ी उस स्थान पर हालत बद से बदतर हो रहे हैं, चहुंओर फैली मिट्टी और उसमें भरा नालियों का गंदा पानी इलाके को दलदलनुमान बना चुका है। जिसमें से उठती दुर्गंध आसपास का वातावरण को जहां दूषित किए है वहीं संकरा रास्ता होने के कारण आवागमन में भी परेशानी हो रही है। लोगों का कहना है कि परिषद ने तोडफ़ोड़ तो कर दी अब शहर के विकास की ओर उनके कदम कब उठेंगे, या फिर कार्रवाई केवल निजी हित के लिए तोडफ़ोड़ तक ही सीमित थी।

दुकानों का मलबा अभी भी पड़ा, भर रहा पानी

परिषद ने मण्डी चौराहा स्थित दुकानों को तोड़ तो डाला, लेकिन अभी तक वहां जलनिकासी के लिए नाली तक का निर्माण नहीं करा सका, बल्कि दुकानों के मलबे को पूरी जगह में ही फैला दिया गया है। नाली निर्माण न होने के कारण क्षेत्र से गंदा पानी बहकर उक्त स्थान से होते हुए चेम्बर में पहुंच रहा है। जो चौराहों को और बदरंग किए हुए है। स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि परिषद ने तोडफ़ोड़ तो कर दी, लेकिन अब यहां निर्माण कराना भूल गया है। दुकानों के फैले मलबे और उसमें भरता गंदा पानी लोगों के लिए आफत बना हुआ है।

पार्क की बाउड्री तक का निर्माण नहीं

परिषद ने मण्डी चौराहे पर ही अस्थायी दुकानों सहित पार्क की बाउंड्रीवाल तक को भी तोड़ डाला। हालांकि यहां से थोड़ा बहुत मलबा हटा तो लिया गया, लेकिन अधिकांशत: मलबा अभी भी उसे हालत में पड़ा हुआ है। जिससे कई बार तो लोग गिरकर घायल तक हो गए हैं। तो वहीं पार्क की बाउंड्रीवाल टूटने से पार्क की भी हालत बदतर लगने लगी है। निराश्रित गोवंश भी बाउड्रीवाल टूटने से पार्क के अंदर आसानी से घुस रहे हैं। जिससे पार्क में आने वाले लोगों के लिए भी मुसीबत बनी हुई है। तोडफ़ोड़ के चार माह बाद भी अभी तक न नगर परिषद और न ही जिला प्रशासन हालातों को सुधारने की दिशा में कोई कदम नहीं उठा रहा।

शहर के हालात पहले से भी हुए बदतर

साल के शुरुआती दिनों में शहर को सुंदर और सडक़ों को चौड़ा करने के नाम पर परिषद ने जमकर तोडफ़ोड़ की। परिषद का पीला पंजा जब चाहे जहां जिस गली में गर्जना करता दिखाई देता था...पूंछने पर बताया जाता था...अतिक्रमण। देखा जाए तो अतिक्रमण हटाने के नाम पर लोग सिर्फ प्रताडि़त ही हुए हैं। परिषद कभी भी अपनी कार्ययोजना या फिर शहर के विकास को लेकर तैयार ब्लू प्रिंट तक बताने में नाकाम रहा और बस कार्रवाई पर कार्रवाई करती रही। तत्कालीन ईओ अशोक शर्मा के निलंबन के चार माह बाद भी अभी तक शहर को विकसित करने की योजना पर कोई कार्य नहीं हो रहा। टूटी सडक़ें, चौक चेम्बर, नालियों से बहता गंदा पानी, चहुंओर उड़ती धूल परिषद सहित शहर प्रशासन की कार्यशैली पर सवालियां निशान लगा रहे हैं।