धौलपुर

नियमों की उड़ी धज्जियां, लाखों लीटर पानी बह रहा व्यर्थ

रेन वाटर हार्वेस्टिंग...यह वो शब्द हैं जो जिनका पूर्णतया पालन करने पर भविष्य के संकटों से बचा जा सकता है, लेकिन इसको लेकर न तो लोगों में जागरूकता आई है और न ही जिम्मेदार विभाग और अधिकारी इसको लेकर गंभीर हैं। इसी का परिणाम है कि बड़े भवनों के साथ राजकीय कार्यालयों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टमों का अभाव है। जिस कारण हजारों लाखों लीटर बारिश का पानी यूं ही व्यर्थ बह जाता है।

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-अधिकतर राजकीय भवनों में नहीं लगाए गए वाटर हार्वेस्टिम सिस्टम

-जिन भवनों में हैं वहां रख रखाव न होने के कारण हुए क्षतिग्रस्त

-300 वर्गमीटर से ज्यादा भूखंड में भी वाटर हार्वेस्टिंग जरूरी

धौलपुर.रेन वाटर हार्वेस्टिंग...यह वो शब्द हैं जो जिनका पूर्णतया पालन करने पर भविष्य के संकटों से बचा जा सकता है, लेकिन इसको लेकर न तो लोगों में जागरूकता आई है और न ही जिम्मेदार विभाग और अधिकारी इसको लेकर गंभीर हैं। इसी का परिणाम है कि बड़े भवनों के साथ राजकीय कार्यालयों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टमों का अभाव है। जिस कारण हजारों लाखों लीटर बारिश का पानी यूं ही व्यर्थ बह जाता है।

रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को लेकर जहां आमजन उदासीन नजर आते हैं, वहीं नगर परिषद भी इस ओर गंभीरता पूर्वक ध्यान नहीं दे रही। नियमानुसार 300 वर्गमीटर से ज्यादा क्षेत्रफल के भूखण्ड पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाना अनिवार्य है, लेकिन यह सिस्टम अधिकतम आवासीय भवनों में नजर नहीं आते। इसके अलावा अनेकों सरकारी कार्यालयों में भी रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम रख रखाव न होने के कारण क्षतिग्रस्त होकर केवल शोपीस बने हुए हैं। तो कई राजकीय कार्यालयों में सिस्टम प्रणाली बनवाई ही नहीं गई है। वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के रख रखाव का जिम्मा नगर परिषद के अधीन है, लेकिन इस ओर किसी का भी ध्यान नहीं है।

रख-रखाव का अभाव पाइप क्षतिग्रस्त

शहर के कुछ ही राजकीय कार्यालयों के भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम तैयार तो किए गए गए थे, लेकिन रख रखाव के कारण अधिकतर कार्यालयों में यह क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। इन राजकीय कार्यालयों में बारिश के पानी को संचय करने के लिए राजकीय भवनों में हर एक भवन की छतों से अलग-अलग पाइप लगाकर और उन्हें आपस में जोडक़र हावेस्टिंग सिस्टम तैयार किए गए थे, लेकिन अब वह पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। कोर्ट परिषर स्थित भवनों के साथ ट्रेजरी ऑफिस में लगे इन सिस्टमों के पाइप तक टूट चुके हैं।

नियमों की हो रही अवहेलना

राजकीय भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग (जल संचयन) का निर्माण अनिवार्य है। इसके अलावा राज्य सरकार ने 2020 में इसे भवन निर्माण के नियमों में शामिल किया था। नियमानुसार300 वर्ग मीटर से ज्यादा क्षेत्रफल के भूखण्ड पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग बनाना अनिवार्य है, लेकिन इसके बावजूद भी शहर में बनने वाले300 वर्गमीटर से ज्यादा क्षेत्रफल भूखण्डों में हार्वेस्टिंग सिस्टम को दरकिनार किया जा रहा है। कुछ भवनों को छोड़ दें तो अधिकतर में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं हैं। जिम्मेदारों की जिम्मेदारी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि नियमों को ताक पर रखने वाले एक भी निर्माणकर्ता के खिलाफ इस बाबत कोई कार्रवाई नहीं की जाती।

कलक्ट्रेट परिसर में हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं

शहर के विभिन्न क्षेत्रों में तीन सौ वर्ग मीटर एवं इससे ज्यादा के एरिया वाले बने निर्माणों की संख्या बहुतायात है। हालांकि कुछ भवनों में यह सिस्टम केवल दिखावे के लिए लगे हैं, लेकिन इसमें जल संग्रहण की स्थिति नगण्य है। इसके अलावा जिले का सबसे मुख्य कार्यालय कलक्टे्रट सहित परिसर में मौजूद आधा दर्जन राजकीय विभागों के भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग की कोई व्यवस्था नहीं की गई है।

वाटर हार्वेस्टिंग का यह उद्देश्य

वाटर हार्वेस्टिंग यानी जल संचयन का अर्थ बारिश के पानी का संचय करना होता है। ताकि मानव, पशु या फसल के उपयोग के लिए जल उपलब्ध कराया जा सके। इस प्रकार एकत्रित पानी का उपयोग या तो तुरंत किया जा सकता है। जैसे कि सिंचाई के लिए या बाद में उपयोग के लिए जमीन के ऊपर के तालाबों या भूमिगत जलाशयों, जैसे कि कुण्ड या उथले जलभृतों में संग्रहित किया जा सकता है।

बचाया जा सकता है लाखों लीटर पानी

जानकारों के अनुसार रेनवॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम राजकीय भवनों और घरों में बनाए जाते तो लाखों लीटर पानी जमीन में उतारकर बचाया जा सकता था। 1000 स्क्वेयर फीट की एक छत में रेनवॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम इंस्टाल होता है तो वर्षाकाल के दौरान 50 से 60 हजार लीटर पानी बचाया जा सकता है। वर्षाकाल में भूमिगत जलसंरक्षण नहीं होने की वजह से ही हर साल गर्मी शुरू होते ही जलस्तर में गिरावट होना शुरू हो जाता हैं और अप्रेल-मई में जलस्त्रोत भी सूख जाते हैं।

Published on:
21 Jul 2025 07:23 pm
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