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देशी विदेशी पक्षियों को रास आ रहे धौलपुर के जलाशय

धौलपुर जिले के जलाशय प्रवासी पक्षियों के लिए स्वर्ग बने हुए हैं। जो सात समंदर पार कर हजारों किलोमीटर यहां अपने कुनबे के साथ डेरा डाले हुए हैं। इंडियन स्कीमर, लिटिल ग्रीव, ग्रेट व्हाइट पैलिकन, इंडियन पोंड हेरोन, कैटल ईग्रेट, पेंटेड स्टॉर्क, एशियन स्पूनबिल, लेसर विसलिंग डक, बार हेडेड गीज, कॉमन पोचार्ड, किंग फिशर इत्यादि प्रजातियों के पक्षी डेरा डाले हुए हैं। यह पक्षी यहां प्रजनन और भोजन की तलाश में यहां आते हैं।

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देशी विदेशी पक्षियों को रास आ रहे धौलपुर के जलाशय Dholpur's reservoirs are being liked by the native and foreign birds

इंडियन स्कीमर, लिटिल ग्रीव, ग्रेट व्हाइट पैलिकन, इंडियन पोंड हेरोन जैसे पक्षियों का डेरा

चंबल नदी पर इंडियन स्कीमर अपने कुनबे के साथ देखा गया

धौलपुर. धौलपुर जिले के जलाशय प्रवासी पक्षियों के लिए स्वर्ग बने हुए हैं। जो सात समंदर पार कर हजारों किलोमीटर यहां अपने कुनबे के साथ डेरा डाले हुए हैं। इंडियन स्कीमर, लिटिल ग्रीव, ग्रेट व्हाइट पैलिकन, इंडियन पोंड हेरोन, कैटल ईग्रेट, पेंटेड स्टॉर्क, एशियन स्पूनबिल, लेसर विसलिंग डक, बार हेडेड गीज, कॉमन पोचार्ड, किंग फिशर इत्यादि प्रजातियों के पक्षी डेरा डाले हुए हैं। यह पक्षी यहां प्रजनन और भोजन की तलाश में यहां आते हैं।

स्थानीय पर्यटक इन पक्षियों को देखने के लिए जलाशयों पर जा रहे हैं। चंबल नदी पर इंडियन स्कीमर देखा जा रहा है। स्कीमर अपने कुनबे के साथ आए हैं। देशी भाषा में इन्हें पनचीरा के नाम से जाना जाता है। जून महीने के बाद यह वापस श्रीलंका और उड़ीसा के समुद्री तट पर चले जाएंगे।धौलपुर में किंगफिशर की भी मौजूदगी

अफ्रीका और एशिया का मशहूर पक्षी किंगफिशर भी धौलपुर आ चुका है। किंगफिशर पक्षी दिखने में बहुत सुंदर होता है। यह एक छोटे आकार का पक्षी है। आम भाषा में इसे राम चिडिय़ा या किलकिला भी कहते हैं। इस चिडिय़ा को किंगफिशर इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यह फिशिंग करने में मास्टर होता है। किंगफिशर की कई जातियां विश्व की विभिन्न जगहों पर पाई जाती हैं। कुल मिलाकर इसकी करीब 87 प्रजातियां हैं। जिनमें से सफेद और नीले रंग का किंगफिशर दुर्लभ माने जाते हैं।

भोजन की कमी के कारण आते हैं पक्षी

वन्य जीव प्रतिपालक धौलपुर राजीव तोमर ने बताया कि हजारों की संख्या में स्थानीय और प्रवासी परिंदों की उपस्थिति दर्ज की गई। धौलपुर जिले की चम्बल नदी, तालाब-ए-शाही, खलती, निभी का ताल, हुसैन सागर, वन विहार, विश्नौंदा का ताल, रामसागर, उर्मिला सागर, हुसैनसागर और आंगई बांध सहित आठ जलाशयों पर पक्षियों की चहचाहट और कलरव की ध्वनि सुनाई दे रही है। उन्होंने बताया कि प्रवासी पक्षी यहां प्रजनन के साथ ही भोजन की कमी के कारण प्रतिवर्ष आते हैं।परिस्थितियों से बचने के लिए ये पक्षी हजारों किलोमीटर का सफर तय कर यहां पहुंचते हैं। सर्द मौसम बिताने के बाद गर्मी शुरू होते ही अपने-अपने देश को लौट जाते हैं। साइबेरिया, यूरोप से लेकर काजिस्तान, बांग्लादेश, तिब्बत से पक्षी आते हैं।