गांव बचाओ आंदोलन के तहत ग्राम पंचायत गौलारी के ताल पर 28 गांवों की पंचायत हुई। पंचायत की अध्यक्षता रामसहाय गुर्जर ने की। पंचायत में किसानों और ग्रामीणों ने करौली-धौलपुर टाइगर सेंचुरी प्रोजेक्ट के तहत विस्थापन का कड़ा विरोध जताया। ग्रामीणों ने योजना को गांव, जमीन व आजीविका पर सीधा हमला करार दिया।
गांव बचाओ आंदोलन का आगाज़
28 गांवों ने विस्थापन के खिलाफ ग्रामीणों ने खड़ा किया मोर्चा
dholpur. गांव बचाओ आंदोलन के तहत ग्राम पंचायत गौलारी के ताल पर 28 गांवों की पंचायत हुई। पंचायत की अध्यक्षता रामसहाय गुर्जर ने की। पंचायत में किसानों और ग्रामीणों ने करौली-धौलपुर टाइगर सेंचुरी प्रोजेक्ट के तहत विस्थापन का कड़ा विरोध जताया। ग्रामीणों ने योजना को गांव, जमीन व आजीविका पर सीधा हमला करार दिया।
सभा को संबोधित करते हुए किसान नेता मोहन सिंह गुर्जर और वीरेंद्र मोर ने कहा कि लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार गांवों और जंगलों को उजाडक़र केवल जानवरों को बसाने का काम कर रही है। यह दुर्भाग्य है कि चुने गए जनप्रतिनिधियों ने न तो इस फैसले का सदन में विरोध किया और न ही जनता को सच से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि अब जनता समझ चुकी है कि सरकार का यह फैसला उनके हित में नहीं है, बल्कि जीवन और इतिहास से जुड़े अस्तित्व को समाप्त करने वाला है। ग्रामीणों में आक्रोश को देखते हुए वक्ताओं ने संयम रखने एवं कानून के तहत विरोध प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि सरकारी विभागों से टकराव करने के बजाय गांधीवादी और अहिंसात्मक तरीके से आंदोलन चलाकर सरकार को फैसला वापस लेने पर मजबूर किया जाए।
नगर पालिका सरमथरा के पूर्व चेयरमैन जलाल खान और रामेश्वर मीणा ने आंदोलन के साथ-साथ कानूनी लड़ाई की अहमियत पर भी जोर दिया। पंचायत ने सर्वसम्मति से फैसला लिया कि आंदोलन का नाम गांव बचाओ आंदोलन होगा और इसके संचालन के लिए संगठन किसान मजदूर नौजवान सभा का गठन किया गया। पंचायत ने यह भी तय किया कि आगामी 24 सितंबर को सरमथुरा में होने वाले प्रदर्शन में गौलारी गांव के हर घर से कम से कम एक व्यक्ति अनिवार्य रूप से शामिल होगा। पंचायत में गौलारी सरपंच सीताराम, पूर्व सरपंच मालूम सिंह सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण भी मौजूद थे।