.मचकुंड मेले के दूसरे दिन मोर छठ पर श्रद्धालुओं का उत्साह चरम पर रहा। हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने झूमते-गाते, जयकारों की गूंज के बीच मचकुंड सरोवर में आस्था की डुबकी लगाई। श्रद्धालुओं ने नव विवाहितों के कलंगी और मोहरी को जलाशय में विसर्जित किया। इस दौरान प्रशासन और पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता इंतेजामात किए।
झूमते, गाते तीर्थराज पहुंचे श्रद्धालु, किया विशेष पूजा पाठ
नव विवाहितों की कलंगी और मोहरी जलाशय में की विसर्जित
मेला मार्ग पर जगह-जगह रही भंडारे-प्रसादी की धूम
धौलपुर.मचकुंड मेले के दूसरे दिन मोर छठ पर श्रद्धालुओं का उत्साह चरम पर रहा। हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने झूमते-गाते, जयकारों की गूंज के बीच मचकुंड सरोवर में आस्था की डुबकी लगाई। श्रद्धालुओं ने नव विवाहितों के कलंगी और मोहरी को जलाशय में विसर्जित किया। इस दौरान प्रशासन और पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता इंतेजामात किए।
शुक्रवार को रिमझिम बारिश होती रही, मगर भक्तों का उत्साह कम नहीं हुआ। श्रद्धालु वर्षा में भीगते हुए महाराज मचकुंड के जयकारों के साथ सरोवर तक पहुंचे। भीड़ का आलम यह रहा कि मार्ग में कदम रखने तक की जगह नहीं रही, फिर भी प्रशासन की बेहतर व्यवस्थाओं के चलते श्रद्धालु सुचारू स्नान करते रहे। मेले के मार्ग पर विभिन्न सामाजिक संगठनों, जनप्रतिनिधियों, व्यापार मंडलों और भामाशाहों की ओर से जगह-जगह भंडारे सजाए गए। श्रद्धालुओं को भोजन, चाय-नाश्ता, पूरी-सब्जी, खीर-मालपुआ, जलेबी-कचोरी से लेकर शरबत तक परोसा गया। श्रद्धालु भंडारों पर बड़ी श्रद्धा और आत्मीयता से प्रसादी ग्रहण करते नजर आए। गुरूवार सुबह से शुरू हुए इस ऐतिहासिक दो दिवसीय मेले में राजस्थान सहित उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों से लाखों श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला देर रात्रि तक जारी रहा।
तीर्थराज की पौराणिक मान्यता
तीर्थराज की मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने यहां महाराज मचुकुंदु के जरिए कालयवन का वध कराया था। इसका उल्लेख विष्णु पुराण व श्रीमद्भागवत की दसवें स्कंध के पंचम अंश 23वें व 51 वें अध्याय में मिलता है। मान्यता है कि यहां महाराज मचुकुंदु ने यज्ञ का आयोजन किया था। इसमें भगवान श्रीकृष्ण भी आए थे। हर देवछठ पर यहां लक्खी मेला भरता है।