Chorasi Assembly by-election New Update : चौरासी विधानसभा उपचुनाव पर नया अपडेट। चौरासी विधानसभा उपचुनाव में एक नया मोड़ आ गया है। वरिष्ठ कांग्रेसियों ने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और गोविंद सिंह डोटासरा को चिट्ठी लिखी। जानें उसमें क्या था?
Chorasi Assembly by-election New Update : चौरासी विधानसभा उपचुनाव पर नया अपडेट। चौरासी विधानसभा उपचुनाव में एक नया मोड़ आ गया है। डूंगरपुर जिले के वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को पत्र भेजकर चौरासी विधानसभा सीट के उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी का स्वतंत्र प्रत्याशी उतारने व कांग्रेस पार्टी छोड़ने वालों को वापस पार्टी में नहीं लेने की मांग की हैं।
जिलाध्यक्ष वल्लभराम पाटीदार ने पत्र में बताया है कि डूंगरपुर जिलेभर के कांग्रेस चौरासी विधानसभा उपचुनाव में पार्टी के स्वतंत्र प्रत्याशी उतारे जाने के पक्ष में एकमत है और किसी भी अन्य दल के साथ किसी प्रकार का समझौता नहीं करना चाहते है। सभी कांग्रेस से जुड़े लोग विश्वास दिलाते है कि कार्यकर्ता रात दिन मेहनत करेंगे और उपचुनाव जीतने का प्रयास करेंगे। पत्र में बताया कि जिले का आम कांग्रेस कार्यकर्ता गठबंधन के पक्ष में नहीं है। गठबंधन नहीं करने से आगामी पंचायत राज चुनाव में पार्टी को फायदा मिलेगा। ऐसे में चौरासी सीट पर पार्टी का स्वतंत्र प्रत्याशी उतारा जाएं।
यह भी पढ़ें -
पत्र पर पूर्व सांसद ताराचंद भगोरा, विधायक गणेश घोगरा, वरिष्ठ नेता एवं पूर्व उप जिला प्रमुख प्रेमकुमार पाटीदार, पूर्व विधायक पूंजीलाल परमार, सुरेंद्र बामणिया, शंकरलाल अहारी, पूर्व जिलाध्यक्ष शंकर यादव, प्रधान कांता देवी, ब्लाक अध्यक्ष डूलेसिंह, दीक्षांत पाटीदार, लक्ष्मणदास, वीरेंद्र सिंह सिसोदिया, सुरेश भोई, मनोज पाटीदार, जिपस. गुलशन मनात सहित कांग्रेसजनों के हस्ताक्षर है।
एक अन्य पत्र में गत विधानसभा चुनाव में कांग्रेस छोड़कर भाजपा तथा अन्य दल में जाने वालों को पुन: पार्टी में शामिल नहीं करने की मांग की है। पत्र में बताया है कि जिले की चारों विधानसभा क्षेत्र में पार्टी से बगावत कर भाजपा सहित अन्य दल में जाने वाले लोगों को पुन: कांग्रेस में नहीं लिया जाएं। पार्टी पर संकट के दौर में अवसरवादी नेताओं एवं कार्यकर्ताओं ने दगा दिया, धोखा दिया और बागी होकर कांग्रेस को हराने का काम किया। ऐसे लोगों को वापस शामिल करने से आम कार्यकर्ताओं में निराशा पनपेगी।
यह भी पढ़ें -