डूंगरपुर

Rajasthan by-election : डूंगरपुर में चौथी बार जम रही उपचुनाव की चौसर, जानें बेहद रोचक है ये जानकारी

Rajasthan by-election : राजस्थान में 1952 से हो रहे विधानसभाओं के चुनावों में डूंगरपुर जिले में उपचुनाव की स्थिति चौथी बार बन रही हैं। राजस्थान में उपचुनाव के लिए 13 नवम्बर को वोटिंग होगी। पूरी जानकारी चौंकाएगी। जानें।

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Chaurasi Assembly By-election में इन तीन उम्मीदवारों के बीच इस बार है मुकाबला।

Rajasthan by-election : राजस्थान में 1952 से हो रहे विधानसभाओं के चुनावों में डूंगरपुर जिले में उपचुनाव की स्थिति चौथी बार बन रही हैं। जिले में चार विधानसभाएं डूंगरपुर, चौरासी, आसपुर एवं सागवाड़ा हैं। तीन विधानसभाओं में उपचुनाव पूर्व के वर्षों में हो चुके हैं, वहीं चौरासी में अब उपचुनाव होंगे। यह दूसरी बार हो रहा है कि विधायक के सांसद का चुनाव लड़ने के बाद जीत दर्ज करने पर सीट रिक्त हुई एवं उपचुनाव हो रहे है। इससे पहले चौरासी जैसी स्थिति आसपुर में भी बन चुकी हैं। सागवाड़ा एवं डूंगरपुर सीट पर विधायक की कार्यकाल के दौरान मृत्यु पर सीट रिक्त होने पर उपचुनाव हुए थे। उल्लेखनीय है कि इस बार प्रदेश की सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं। इनमें प्रत्याशी पूरी ताकत के साथ चुनावी समर में कूद गए हैं।

वर्ष 2006 : डूंगरपुर में अहारी के निधन पर हुए थे उपचुनाव

डूंगरपुर विधानसभा सीट पर 1952 से चुनाव हो रहे हैं। वर्ष 2006 में डूंगरपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस विधायक नाथूलाल अहारी के निधन पर उपचुनाव हुए थे। तत्कालीन समय में भाजपा सरकार ने इस सीट पर पूरी ताकत भी झोंकी थी। लेकिन जनता ने अहारी के प्रति सहानुभूति दिखाते हुए कांग्रेस प्रत्याशी को विजयी बनाया था।

वर्ष 2024 - अब चौरासी की बारी आई

चौरासी विधानसभा सीट 1967 में अस्तित्व में आई। चौरासी में 2023 के चुनाव में बीएपी के राजकुमार रोत ने जीत दर्ज की। इसके बाद वे सांसद का चुनाव लड़े एवं जीत हासिल की। जिसके बाद चौरासी की सीट रिक्त हैं, जहां पर उपचुनाव के तहत 13 नवंबर को मतदान होगा। इस सीट पर 10 प्रत्याशी अपना भाग्य आजमा रहे हैं। इस सीट पर 13 नवंबर को मतदान होगा एवं 23 नवंबर को मतगणना होगी।

वर्ष 2002 : सागवाड़ा में हुए थे उपचुनाव

कांग्रेस के कद्दावर नेता भीखाभाई के निधन के बाद सागवाड़ा विधानसभा सीट पर वर्ष 2002 में हुए उपचुनाव हुए थे। भीखाभाई 1957 से इस सीट का प्रतिनिधित्व करते आ रहे थे। वे 1957 में निर्विरोध चुने गए थे। वर्ष 1962, 67, 72 में लगातार चार बार विजयी रहे। वर्ष 1977 में जनता पार्टी के लालशंकर ने विजयी हासिल की लेकिन 1980, 85 एवं 90 में भीखाभाई की पुत्री कमला बाई विजयी रही। वर्ष 1993 एवं 98 में एक बार पुन: भीखाभाई सागवाड़ा विधानसभा सीट पर विजयी रहे। वर्ष 2002 में हुए उपचुनाव में भाजपा के कनकमल कटारा ने भीखाभाई के पुत्र सुरेन्द्र कुमार बामणिया को 13 हजार 105 मतों से पराजित किया था। कटारा का यह कार्यकाल मात्र 11 माह का रहा था। बामणिया के सरकारी नौकरी में विभिन्न पदों पर रहने के बाद वर्ष 2002 में उद्यान निदेशक के पद से सेवानिवृत्ति लेकर उप चुनाव में मैदान में उतरे थे।

वर्ष 2000 में आसपुर विस सीट के लिए हुए थे उपचुनाव

आसपुर विधानसभा सीट के लिए वर्ष 2000 में उपचुनाव हुए थे। वर्ष 1998 में हुए विधानसभा के आम चुनाव में यहां से कांग्रेस प्रत्याशी ताराचंद भगोरा ने जीत हासिल कर तत्कालीन पूर्व विधायक भीमराज मीणा को शिकस्त दी थी। वहीं वर्ष 1999 में हुए लोकसभा चुनाव में ताराचंद भगोरा बांसवाड़ा- डूंगरपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर सांसद चुने गए। इससे आसपुर विधानसभा सीट रिक्त हो गई। बाद में वर्ष 2000 में जब यहां उपचुनाव हुए तो कांग्रेस के आसपुर के पूर्व प्रधान राईया मीणा ने अपनी जीत दर्ज करवा कर उपचुनाव के रास्ते ही पहली बार विधानसभा में इंट्री ली।

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