डूंगरपुर

राजस्थान के शिक्षा निदेशालय के आदेश ने बढ़ाई शिक्षकों की धड़कनें, जानें क्या है मामला

Rajasthan News : राजस्थान के शिक्षा निदेशालय के आदेश ने शिक्षकों की धड़कनें बढ़ा दी हैं। मुख्य परीक्षा में 40 फीसदी से कम अंक होंगे, तो गिरेगी गाज। जानें क्या है मामला...

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डूंगरपुर. प्रतीकात्मक फोटो। पत्रिका

Rajasthan News : प्रदेश के शिक्षा निदेशालय के आदेश ने शिक्षकों की धड़कनें बढ़ा दी हैं। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के निर्देश पर शिक्षा निदेशक सीताराम जाट ने समस्त जिला शिक्षा अधिकारियों एवं संस्था प्रधानों को आदेश जारी कर शाला दर्पण पोर्टल पर बोर्ड परीक्षा मॉड्यूल में वर्ष 2025 की परीक्षा में प्रायोगिक परीक्षा एवं सत्रांक को छोड़कर लिखित (मुख्य-वार्षिक) परीक्षा में विषयवार 40 फीसदी से कम अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों की संख्या इंद्राज करने के निर्देश जारी किए हैं। जबकि, बोर्ड परीक्षा परिणाम में देखा जाए, तो अमूमन विद्यार्थियों के सत्रांक व प्रायोगिक में शत-प्रतिशत ही अंक दिए जाते हैं। जबकि, सैद्धांतिक में कम अंक प्राप्त हो रहे।

इससे शिक्षकों में इस बात का डर बना हुआ कि बोर्ड पोर्टल में बोर्ड अंक इंद्राज के बाद कहीं कार्रवाई नहीं हो जाए। ऐसे में विभिन्न शिक्षक संगठनों एवं शिक्षकों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है। शिक्षकों का कहना है कि एकतरफ स्कूलों में शिक्षकों को ढेरों गैर शैक्षणिक कार्य सौंप रखे हैं। इससे शिक्षक अपने मूल अध्यापन कार्य के स्थान पर गैर शैक्षणिक कार्यों में उलझा रहता है।

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लिखित परीक्षा में अंकों की बाध्यता रखना अव्यवहारिक

इधर, राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ.ऋषिन चौबीसा एवं जिला उपाध्यक्ष राजेन्द्र सिंह चौहान ने कहा कि स्कूलों में एक तरफ गैर शैक्षणिक कार्यों की भरमार है। वहीं, दूसरी और कई स्कूलों में वरिष्ठ अध्यापकों एवं व्यायाताओं के कई पद रिक्त है। फिर भी उपलब्ध शिक्षकों की ओर से आशानुरूप परिणाम दिया जा रहा है। ऐसे में लिखित परीक्षा में अंकों की बाध्यता रखना अव्यवहारिक है। अगर विभाग को सत्रांक पर संदेह है, तो सत्रांक व्यवस्था बन्द कर देनी चाहिए।

यूं समझे मामला

बोर्ड परीक्षा में कक्षा 10 एवं 12 में उत्तीर्ण होने के लिए लिखित परीक्षा के साथ सत्रांक के 20 अंक भी जुड़ते हैं। सामयिक जांच एवं अर्द्धवार्षिक परीक्षा के अंकों के आधार पर नियमानुसार सत्रांक भी दिए जाते हैं। विद्यार्थियों को सबंधित विषय में सत्रांक 20 में से 20 दिए जाते हैं, जिससे विद्यार्थी लिखित परीक्षा में मात्र 13 अंक लाकर न्यूनतम अंक प्राप्त कर उत्तीर्ण हो जाता है। शिक्षा मंत्री द्वारा गुणवत्ता पूर्ण परिणाम न रहने से कई बार शिक्षकों पर कार्रवाई करने के बयान भी दिए जाते रहे हैं। इसके बाद शिक्षा निदेशालय ने आदेश जारी किए हैं।

ये काम कर रहे शिक्षक

हाउस होल्ड सर्वे, शाला स्वास्थ्य कार्यक्रम, डिजिटल प्रवेशोत्सव, पौधरोपण, पौधों की जिओ टैगिंग, इंस्पायर अवॉर्ड, नि:शुल्क पुस्तक वितरण, साइकिल वितरण,सेनेटरी नैपकिन वितरण, बाल गोपाल दूध वितरण,आयरन गोली का वितरण, नवभारत साक्षरता कार्यक्रम, छात्रवृत्ति योजना, आपकी बेटी योजना, यशस्वी योजना, आत्मरक्षा प्रशिक्षण, आधार एवं जन आधार ऑर्थेटिकेशन, गुड टच-बैड टच, स्वीप कार्यक्रम, मतदाता जागरूकता करना तथा महंगाई राहत शिविरों में सहयोग करना, विधानसभा प्रश्नोत्तर प्रेषण, एसएमसी/एसडीएमसी बैठक, खेलकूद प्रतियोगिता आदि ऐसे करीब 150 से अधिक काम हैं, जो शिक्षकों के ही जिम्मे हैं। ऐसे में गुणवत्तापूर्ण परिणाम पर विपरीत प्रभाव पड़ना तय है।

अधिकारी ने कहा..

शिक्षा निदेशालय के आदेश प्राप्त हुए हैं। सीबीईओ एवं पीईईओ को आदेश जारी किए हैं। जल्द ही सूचनाएं पोर्टल पर अपडेट करवाएंगे।
आरएल डामोर,मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी, डूंगरपुर

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Published on:
10 Oct 2025 01:46 pm
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