कुछ देशों का एजुकेशन सिस्टम इतना बढ़िया है कि दुनियाभर के देश उसे अपने यहां लागू करने की कोशिश करते हैं। इन देशों के स्कूलों में बल्कि बच्चों को, बैलेंस्ड लाइफ, खुश और रिस्पॉन्सिबल सिटीजन बनाने पर जोर दिया जाता है।
Education System: दुनिया में जहां शिक्षा का मतलब है कॉम्पिटिशन, ढ़ेर सारा होमवर्क और एग्जाम स्ट्रेस…! वहीं भूटान और नीदरलैंड की एजुकेशन पॉलिसी इसके बिल्कुल उलट है। इन दोनों देशों में शिक्षा का विजन केवल ज्यादा नंबर और अच्छी नौकरी नहीं, बल्कि बच्चों को, बैलेंस्ड लाइफ, खुश और रिस्पॉन्सिबल सिटीजन बनाना है। आइए जानते है यहा के एजुकेशन सिस्टम के बारे में?
भूटान दुनिया का पहला देश है जिसने अपने एजुकेशन सिस्टम में Gross National Happiness (GNH) को शामिल किया है। यहां स्टूडेंट्स को पढ़ाई के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य, माइंडफुलनेस और टाइम-लाइफ मैनेजमेंट सिखाया जाता है।भूटान के स्कूलों में कम होमवर्क और कम एग्जाम प्रेशर के साथ क्लासों की शुरुआत मेडिटेशन और शांत वातावरण से होती है। यहां बच्चों को पढ़ाने का तरीका भी लोकल कल्चर, प्रकृति और रियल लाइफ एक्सपीरियंस पर आधारित है। बच्चों को खेल-कूद के माध्यम से शिक्षित करने पर अधिक जोर दिया जाता है।
फिनलैंड अपने बेहतरीन एजुकेशन सिस्टम के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। यही फिनलैंड के सबसे खुशहाल देश होने का प्रमाण भी है। बच्चों पर पढ़ाई को लेकर कोई प्रेशर नहीं बनाया जाता, वहां 16 साल की उम्र तक कोई फॉर्मल एग्जाम नहीं होते। फिनलैंड में बच्चों को कम होमवर्क दिया जाता है। यहां शिक्षा पैटर्न रटने पर नहीं, बल्कि क्रिएटिविटी, रिसर्च, डिबेट्स और व्यवहारिक सीख पर आधारित होता है। यहां स्कूलों के बीच या बच्चों के बीच कॉम्पिटिशन नहीं होता। बच्चे एक-दूसरे की मदद करते हुए और टीम बनाकर पढ़ते हैं।
भूटान और फिनलैंड के मॉडल यह इशारा कर रहे हैं कि शिक्षा तभी प्रभावी होती है जब बच्चे सिर्फ सफल नहीं, बल्कि मानसिक रूप से संतुलित और आत्मविश्वासी भी हों। विशेषज्ञों का मानना है कि यह दृष्टिकोण भविष्य में वैश्विक शिक्षा सुधार का आधार बन सकता है।