Rules for State Capital Selection: भारत जैसे विशाल देश में हर राज्य की राजधानी का अपना ऐतिहासिक, प्रशासनिक और भौगोलिक महत्व होता है। लेकिन क्या जानते हैं कि किसी भी राज्ये का राजधानी कैसे तय होती है? चलिए हम आपको बताते हैं।
State Capital Selection: हर राज्य की कोई ना कोई राजधानी होती है। एक राजधानी देश की पहचान दर्शाती है और अक्सर महत्वपूर्ण सरकारी भवनों, वित्तीय संस्थानों और पर्यटन के आकर्षणों का केंद्र होती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि राज्यों की राजधानी कैसे तय की जाती है। अगर नहीं तो, चलिए हम आपको बताते हैं।
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किसी भी राज्य की राजधानी तय करने का अधिकार मुख्य रूप से राज्य सरकार के पास होता है। हालाकि, संसद को संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत नए राज्य बनाने या राज्य की सीमाओं में बदलाव करने का अधिकार होता है। जिसमें राजधानी तय करना भी शामिल हो सकता है। इसके अलावा केंद्र सरकार के पास भी उच्च न्यायालयों की स्थापना का अधिकार है, जो न्यायिक राजधानी तय करने की शक्ति प्रदान करता है।
भारतीय संविधान में राजधानी तय करने के लिए कोई विशेष अनुच्छेद नहीं है। लेकिन, संबंधित राज्य का प्रशासनिक कार्य उस शहर में स्थापित होता है जिसे सरकार राजधानी घोषित करती है।
राजधानी शहर राज्य के केंद्र में हो, ताकि सभी जिलों से आसानी से वहां पहुंचा जा सके।
शहर में अच्छी परिवहन व्यवस्था, रेल, सड़क और हवाई मार्ग से जुड़ाव हो, जो सरकारी कामकाज के लिए महत्वपूर्ण है।
कुछ शहरों को उनके लंबे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के कारण भी राजधानी चुना जाता है।
राजधानी शहर में आवश्यक बुनियादी ढांचे, जैसे बिजली, पानी और संचार की सुविधाएं होनी चाहिए।
राज्य सरकार चाहे तो विधानसभा के माध्यम से प्रस्ताव पारित कर नई राजधानी घोषित कर सकती है। जैसे, महाराष्ट्र की दो राजधानियां हैं, मुंबई और नागपुर। वैसे ही आंध्र प्रदेश में अमरावती, विशाखापट्टनम और कर्नूल को लेकर बहु-राजधानी योजना प्रस्तावित की गई थी।