Mahesh Panda OPSC Journey: सच्ची मेहनत और लगन के आगे कोई बाधा टिक नहीं सकती। इस बात को सच कर दिखाया है ओडिशा के दृष्टिहीन शिक्षक महेश पांडा ने, जिन्होंने बचपन में आंखों की रोशनी खोने के बावजूद न सिर्फ पढ़ाई की, बल्कि सिविल सेवा परीक्षा में सफलता पाकर इतिहास रच दिया।
OPSC Success Story: कहते हैं अगर सच्चे दिल से मेहनत की जाए तो कोई भी रास्ता मुश्किल नहीं होता है। इस बात को ओडिशा के जाजपुर जिला के शिक्षक महेश पांडा ने सच कर दिखाया है। महेश पांडा पेशे से शिक्षक हैं और वो बचपन से दृष्टीहीन हैं। लेकिन, इसके बावजूद उन्होंने ओडिशा सिविल सेवा परीक्षा 2023 में सफलता हासिल की है। इस परीक्षा के नतीजे शुक्रवार को जारी किए गए। उन्होंने इस परीक्षा में 300वीं रैंक हासिल की और यह उनका तीसरा प्रयास था।
जाजपुर जिले के कोरेई प्रखंड के बड़ा बिरुहान गांव के निवासी महेश ने बचपन में ही आखों की रोशनी खो दी थी। वह अपने पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं। उनके पिता लक्ष्मी नारायण खेती करके अपने सात परिवार के सदस्यों का पालन-पोषण करते थे। बचपन से ही लाख कोशिसों और बेहतर इलाज और राज्य के कई नेत्र अस्पतालों में इलाज के बावजूद डॉक्टर महेश की दृष्टि वापस नहीं ला पाए।
पांडा ने 2009 में नुआपाड़ा स्थित दृष्टिबाधित विद्यालय से मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने रावेनशॉ विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन, कोरापुट स्थित केंद्रीय विश्वविद्यालय से बीएड और उत्कल विश्वविद्यालय से ओडिया में मास्टर्स की डिग्री प्राप्त की। उनकी उच्च शिक्षा स्थानीय दानदाताओं और कटक में युग निर्माण विद्या परिषद और गायत्री मिशन जैसे संगठनों की मदद से संभव हो सकी, जिन्होंने उनकी पढ़ाई को प्रायोजित करने के लिए आगे कदम बढ़ाया। महेश साल 2016 से कटक जिले के अथागढ़ के कुलेइलो स्थित आदर्श विद्यालय में उड़िया शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं। शिक्षक होते हुए वह सिविस सर्विस की परीक्षा की तैयारियों में जुटे हुए थे और अंत में उन्हें सफलता प्राप्त हुई।
महेश ने अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार, दोस्तों और शुभचिंतकों के अटूट सहयोग को दिया। अब वह राज्य प्रशासन में अपनी नई भूमिका के माध्यम से ओडिशा के लोगों की सेवा करने की आशा रखते हैं। ओडिशा सिविल सेवा परीक्षा 2023 के परिणाम शुक्रवार को घोषित किए गए, जिसमें 398 उम्मीदवार उत्तीर्ण हुए।