शिक्षा

सिस्टम फेल, छात्र मस्त: 11 साल से फर्स्ट ईयर में जमा है MBBS छात्र, कॉलेज प्रशासन नतमस्तक

छात्र ने एमबीबीएस फर्स्ट ईयर की परीक्षा केवल एक बार दी थी, जिसमें वह सभी विषयों में फेल हो गया था। इसके बाद उसने दोबारा परीक्षा देने से दूरी बना ली।

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Dec 27, 2025
MBBS Student(AI Image-Grok)

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज से जुड़ा एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां साल 2014 बैच का एक छात्र पिछले 11 वर्षों से एमबीबीएस के पहले साल में ही अटका हुआ है और अब तक फर्स्ट ईयर की परीक्षा भी पास नहीं कर पाया है।मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार छात्र ने वर्ष 2014 में सीपीएमटी के माध्यम से अनुसूचित जाति कोटे में कॉलेज में एडमिशन लिया था। यह छात्र आजमगढ़ का रहने वाला है। छात्र कॉलेज के हॉस्टल में लगातार रह रहा है, लेकिन न तो पढ़ाई कर रहा है और न ही परीक्षा में शामिल हो रहा है। हैरानी की बात यह है कि कॉलेज प्रशासन भी अब तक इस पर कोई निर्णायक कदम नहीं उठा सका है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मामलों में कॉलेज प्रशासन को एनएमसी को सूचना देकर नियमानुसार कार्रवाई करनी चाहिए

सिर्फ एक बार दी MBBS परीक्षा, फिर बनाई दूरी


छात्र ने एमबीबीएस फर्स्ट ईयर की परीक्षा केवल एक बार दी थी, जिसमें वह सभी विषयों में फेल हो गया था। इसके बाद उसने दोबारा परीक्षा देने से दूरी बना ली। उसके बाद उसने परीक्षा में बैठना ही बंद कर दिया। शिक्षकों ने उसे विशेष रूप से पढ़ाने की पेशकश भी की, ताकि वह परीक्षा पास कर सके, लेकिन छात्र ने इसे भी नहीं माना। छात्र के व्यवहार और गतिविधियों को लेकर हॉस्टल वार्डन ने कॉलेज प्रशासन को छह बार पत्र लिखकर शिकायत की। इन पत्रों में बताया गया कि छात्र की वजह से अन्य विद्यार्थियों को भी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई।

प्रिंसिपल ने क्या कहा?

कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. रामकुमार जायसवाल का कहना है कि छात्र अपने बैच के अन्य छात्रों से कई साल पीछे रह गया है। उसे कई बार समझाने का प्रयास किया गया, अलग से पढ़ाई की सुविधा भी देने का प्रस्ताव रखा गया, लेकिन वह अपनी जिद पर अड़ा रहा। हॉस्टल की सुविधा का लाभ उठाते हुए वह न तो पढ़ाई कर रहा है और न ही कॉलेज छोड़ने को तैयार है। ऐसे में प्रशासन उसे हटाने या आगे की कार्रवाई करने को लेकर असमंजस में है।

NMC नियमों का उल्लंघन

एक्सपर्ट्स के अनुसार, यह मामला राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) के नियमों का खुला उल्लंघन है। एनएमसी के ग्रेजुएट चिकित्सा शिक्षा नियम (GMER) 2023 के अनुसार एमबीबीएस फर्स्ट ईयर की परीक्षा के लिए अधिकतम चार प्रयास की अनुमति है, जिन्हें चार वर्षों के भीतर पूरा करना जरूरी है। वहीं, पूरे एमबीबीएस कोर्सों को अधिकतम नौ वर्षों में पूरा करना अनिवार्य है, जिसमें इंटर्नशिप शामिल नहीं होती। इसके अलावा, सीबीएमई दिशा-निर्देशों के अनुसार थ्योरी में कम से कम 75 प्रतिशत और प्रैक्टिकल में 80 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य है।

Published on:
27 Dec 2025 07:03 pm
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