Shrikant Jichkar: डॉ. श्रीकांत जिचकर को भारत का सबसे पढ़ा-लिखा राजनेता कहा जाता है। उन्होंने अपनी जिंदगी में 20 से ज्यादा डिग्रियां हासिल कीं और 42 यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की। उनके पास मेडिकल, लॉ, बिजनेस, पत्रकारिता, कला और प्रशासन जैसे अलग-अलग क्षेत्रों की डिग्रियां थीं। उनकी यह कहानी आज भी लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है।
Shrikant Jichkar Success Story: क्या आपने कभी किसी ऐसे इंसान के बारे में सुना है, जिसके पास 20 से ज्यादा डिग्रियां हों, जिसने 42 अलग-अलग यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की हो और जिसने भारत की सबसे कठिन मानी जाने वाली UPSC परीक्षा को दो बार पास किया हो? अगर नहीं, तो आपको डॉ. श्रीकांत जिचकर की कहानी जरूर जाननी चाहिए। वे न सिर्फ एक पढ़े-लिखे इंसान थे बल्कि एक प्रेरणा, एक जुनूनी विद्यार्थी, एक सफल प्रशासक, नेता और कला-संस्कृति प्रेमी भी थे। उनका जीवन इस बात का उदाहरण है कि अगर इंसान के भीतर सच्ची लगन और सीखने की भूख हो तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।
डॉ. श्रीकांत जिचकर का जन्म 1954 में महाराष्ट्र में हुआ था। उन्होंने पढ़ाई को केवल एक जिम्मेदारी नहीं बल्कि एक जुनून बनाया। उन्होंने मेडिकल, लॉ, एमबीए, पत्रकारिता, इतिहास, राजनीति, संस्कृत, दर्शनशास्त्र जैसी कई विषयों में 20 से अधिक डिग्रियां हासिल कीं और 42 से ज्यादा विश्वविद्यालयों में पढ़ाई की। यह आंकड़ा उन्हें भारत के सबसे पढ़े-लिखे व्यक्ति के रूप में पहचान दिलाता है।
1978 में श्रीकांत जिचकर ने UPSC परीक्षा पास की जिसके बाद वह IPS बने। लेकिन उनकी महत्वाकांक्षा यहीं नहीं रुकी। उन्होंने दोबारा UPSC परीक्षा दी और इस बार 1980 में IAS अधिकारी बने।
IAS की नौकरी छोड़कर उन्होंने राजनीति में कदम रखा और महज 26 साल की उम्र में महाराष्ट्र विधानसभा के सबसे कम उम्र के विधायक बन गए। उन्होंने एक साथ 14 मंत्रालयों का कार्यभार संभाला और जनता के बीच एक बुद्धिजीवी और कुशल नेता की छवि बनाई।
राजनीति और प्रशासन से परे, डॉ. जिचकर एक संस्कृत विद्वान और कला प्रेमी भी थे। उन्होंने नागपुर में ‘कला सागर’ नाम से एक आर्ट गैलरी स्थापित की और 50,000 से अधिक किताबों वाला एक विशाल पुस्तकालय तैयार किया। वे मानते थे कि ज्ञान ही समाज में असली बदलाव ला सकता है।
2 जून 2004 को एक सड़क हादसे में डॉ. श्रीकांत जिचकर का निधन हो गया। मात्र 49 साल की उम्र में यह महान प्रतिभा दुनिया से विदा हो गई, लेकिन उनके विचार, संघर्ष और शिक्षा के प्रति समर्पण आज भी लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा हैं।