Success Story NEET UG Topper: कहते हैं कुछ कर गुजरने की चाह होनी चाहिए रास्ता ही खुद ही निकल जाता है। ऐसी ही कहानी है ओडिशा के एक आदिवासी लड़के की है, जिसने अभाव को अवसर में बदल दिया। हम बात कर रहे हैं मंगला मुदुली की, जिन्होंने NEET UG परीक्षा में 261वीं रैंक हासिल […]
Success Story NEET UG Topper: कहते हैं कुछ कर गुजरने की चाह होनी चाहिए रास्ता ही खुद ही निकल जाता है। ऐसी ही कहानी है ओडिशा के एक आदिवासी लड़के की है, जिसने अभाव को अवसर में बदल दिया। हम बात कर रहे हैं मंगला मुदुली की, जिन्होंने NEET UG परीक्षा में 261वीं रैंक हासिल की हैं। मंगला मुदुली एक ऐसी जनजाति से आते हैं जिसकी साक्षरता दर ओडिशा की सभी 62 जनजातियों में सबसे कम है। उनकी उम्र सिर्फ 19 साल है।
मुदुली ने शुरुआती शिक्षा गांव के सरकारी स्कूल से हासिल की। उनके बड़े भाई भी इसी स्कूल से पढ़ाई करते थे। लेकिन काफी पहले स्कूल छोड़ दिया था। घर में उच्च शिक्षा को लेकर कोई अच्छा माहौल नहीं था। लेकिन मुदुली जब साइंस में हायर सेकेंडरी शिक्षा प्राप्त कर रहे थे, तो उनके शिक्षक ने उन्हें मेडिकल कोर्सेज में जाने के लिए प्रेरित किया। साथ ही बालासोर के एक कोचिंग संस्थान में दाखिला दिला दिया।
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार ओडिशा में बोंडा जनजाति की साक्षरता दर मात्र 36.61% थी, जो राज्य के अन्य प्रमुख विशेष रूप से कमजोर आदिवासी ग्रुपों की तुलना में कम है। उनकी इस जीत से पूरे समुदाय को प्रेरणा मिलेगी। मंगला ओडिशा के मलकानगिरी जिले के गोविंदपल्ली ब्लॉक के मुदुलीपाड़ा पंचायत के अंतर्गत आने वाले बडबेल गांव के हैं। 19 वर्षीय मुदुली कमजोर आदिवासी ग्रुप से NEET UG परीक्षा पास करने वाला पहला व्यक्ति बन गया है। वे अपने घर से 400 किलोमीटर से अधिक दूर गंजम जिले के बरहामपुर शहर में MKCG मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में MBBS कोर्स के लिए दाखिला लेंगे।