शिक्षा

बचपन में बेचनी पड़ीं चूड़ियां, पोलियो और गरीबी भी नहीं तोड़ पाई हौसला, जानिए इस IAS अधिकारी की Success Story

IAS Success Story: रमेश घोलप महाराष्ट्र के रहने वाले हैं। आर्थिक तंगी और गरीबी में बचपन बीता। फिर भी उन्होंने वर्ष 2012 में यूपीएससी सीएसई परीक्षा पास कर ली।

2 min read

IAS Success Story:“हार हो जाती है जब मान लिया जाता है, जीत तब होती है जब ठान लिया जाता है”, शकील आज़मी का लिखा ये शेर होनहार और तेज तर्रार आईएएस रमेश घोलप पर बिलकुल फिट बैठता है। उनकी कहानी असामान्य है, लेकिन सच है। रमेश ने बचपन में गरीबी और पोलिया का दंश झेला। लेकिन कठिन परिस्थितियों के बावजूद उनके हौसले कभी कम नहीं हुए। आइए, जानते हैं उनकी सक्सेस स्टोरी

बचपन में ही खो दिया एक पैर (IAS Ramesh Gholap)

रमेश घोलप (IAS Ramesh Gholap) महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के एक छोटे से गांव के रहने वाले हैं। बचपन में ही उन्होंने अपने पिता को खो दिया। आर्थिक तंगी और गरीबी में बचपन बीता। पिता का साया सिर से हटने के बाद मां ने पेट पालने के लिए हर संभव कोशिश की। रमेश की मां सड़कों पर चूड़ियां बेचा करती थीं। रमेश भी चूड़ियां बेचने में अपनी मां की मदद किया करते थे। इतना सब कम नहीं था, जिंदगी को उनका एक और इम्तिहान लेना था। पोलिया के कारण रमेश ने अपना एक पैर खो दिया। पैसे की तंगी के कारण इलाज नहीं हो पाया। इन परिस्थितियों के बावजूद रमेश घोलप ने कभी हार नहीं मानी। अपने दृढ़निश्चय और मेहनत के दम पर 2012 में सिविल सेवा परीक्षा में 287वां स्थान हासिल किया।

12वीं की पढ़ाई के लिए छोड़ना पड़ा गांव 

रमेश की प्रारंभिक पढ़ाई गांव से हुई। आगे की पढ़ाई के लिए वे अपने चाचा के घर चले गए। रमेश जब 12वीं में थे तो उनकी पिता की मृत्यु हो गई। चाचा के घर से खुद के घर आने के 7 रुपये लगते थे। रमेश विकलांग थे तो उनके लिए केवल 2 रुपये का किराया था, लेकिन तंगी इतनी थी कि उनके पास 2 रुपये भी नहीं थे।

पहले प्रयास में असफल रहे 

12वीं की पढ़ाई के बाद रमेश ने डिप्लोमा किया और घर की जिम्मेदारी में हाथ बटाने लगे। उन्होंने गांव में ही पढ़ाना शुरू कर दिया। इसी दौरान उन्होंने बीए की डिग्री पूरी कर ली। फिर उनके मन में सिविल सेवा का ख्याल आया। यूपीएससी सीएसई (UPSC CSE) की तैयारी के लिए उन्होंने 6 महीने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी। पहली बार वर्ष 2010 में यूपीएससी की परीक्षा दी थी, जिसमें वे असफल रहे। इसके बाद मां ने गांव वालों से कुछ पैसे उधार लेकर रमेश को पढ़ाई के लिए बाहर भेज दिया।

वर्ष 2012 में पाई सफलता (Success Story)

पुणे जाने के बाद रमेश ने बिना कोचिंग के यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। कड़ी मेहनत, लगन और परिश्रम के बाद आखिरकार उन्होंने 2012 में सिविल सर्विस परीक्षा क्रैक कर ली। 287 रैंक हासिल करके विकलांग कोटा के तहत रमेश घोलप आईएएस ऑफिसर बन गए। 

Also Read
View All
यूट्यूब के CEO Neal Mohan बने TIME के ‘CEO ऑफ द ईयर’, जानिए कितने पढ़े-लिखें है दुनिया के सबसे बड़े वीडियो प्लेटफॉर्म के कर्ता-धर्ता

IndiGo CEO Salary: कभी लोडिंग का काम करते थे पीटर एल्बर्स, आज करोड़ों में है सैलरी, एजुकेशन जानकर उड़ जाएंगे होश

महिलाओं के लिए भारत सरकार के साथ काम करने का मौका, हर महीने मिलेंगे 20 हजार रूपये, खाना-रहना भी फ्री

CBSE Class 10 Exam Pattern Change: सीबीएसई कक्षा 10 के स्टूडेंट्स के लिए बोर्ड ने जारी किया नया पैटर्न, जान लिजिए कौन से बड़े बदलाव होंगे?

नौकरी तलाश रहे युवाओं के लिए अच्छी खबर: सरकारी पोर्टल बना सकेगा आपका रिज्यूमे, Microsoft का 2 करोड़ भारतीयों को AI सिखाने का प्लान

अगली खबर