शिक्षा

UPSC: सिविल सेवा परीक्षा में ह्यूमैनिटीज विषयों की ओर क्यों बढ़ रहे इंजीनियर और वैज्ञानिक जैसे साइंस बैकग्राउंड के छात्र?

UPSC: 2025 की परीक्षा में अव्वल रहीं शक्ति दुबे, जो बायोकेमिस्ट्री में ग्रेजुएट हैं, ने राजनीतिक विज्ञान और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को वैकल्पिक विषय के रूप में चुना। उनका कहना है कि इस विषय की तैयारी ने...

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Apr 29, 2025
UPSC

UPSC Exam: देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में गिनी जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा(UPSC Exam) में पिछले कुछ सालों में एक दिलचस्प आंकड़ा सामने आया है। इंजीनियरिंग, साइंस और मेडिकल जैसे टेक्निकल और जॉब ओरिएंटेड क्षेत्रों से आने वाले बड़ी संख्या में उम्मीदवार अंतिम चयन के लिए ह्यूमैनिटीज विषयों(जिसमें हिस्ट्री, जियोग्रफी, पॉलिटिकल साइंस जैसे विषय आते हैं) को अपना वैकल्पिक विषय बना रहे हैं। यह बात पिछले कुछ सालों के डेटा के आधार पर निकलकर सामने आई है।

UPSC: बायोकेमिस्ट्री में ग्रेजुएट हैं टॉपर शक्ति दुबे


2025 की परीक्षा में अव्वल रहीं शक्ति दुबे, जो बायोकेमिस्ट्री में ग्रेजुएट हैं, ने राजनीतिक विज्ञान और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को वैकल्पिक विषय के रूप में चुना। उनका कहना है कि इस विषय की तैयारी ने उन्हें नैतिकता और निबंध जैसे सामान्य अध्ययन के पेपर में भी मदद की। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस संबंध में कुछ जरुरी डेटा दिए गए है।

आंकड़े क्या कहते हैं?

2024 में 9.9 लाख उम्मीदवारों ने आवेदन किया
इनमें से 5.8 लाख ने प्रारंभिक परीक्षा दी
14,627 मुख्य परीक्षा तक पहुंचे
2,845 को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया
1,009 अभ्यर्थी चयनित हुए — यानी सफलता दर केवल 0.1% रही

2017 से 2021 तक:
63.7% उम्मीदवार इंजीनियरिंग क्षेत्र से थे
23.6% मानविकी, 7.2% विज्ञान और 5.5% चिकित्सा क्षेत्र से

लेकिन 2020 के वैकल्पिक विषय के आंकड़ों में पाया गया कि:
85.1% उम्मीदवारों ने मानविकी विषयों को चुना
इनमें से सबसे लोकप्रिय विषय रहे: राजनीतिक विज्ञान, समाजशास्त्र, मानव विज्ञान और भूगोल

UPSC Optional Subjects: ह्यूमैनिटीज क्यों बन रही है पहली पसंद?

आईआईटी बॉम्बे के पूर्व छात्र कुश मोटवानी, जिन्होंने 2023 में 11वीं रैंक प्राप्त की, का कहना है कि तकनीकी विषयों में अधिक अभ्यास और समय लगता है, जबकि ह्यूमैनिटीज विषयों को सीमित समय में प्रभावी रूप से कवर किया जा सकता है। दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ा रहे प्रोफेसर बिपिन कुमार तिवारी के अनुसार, “राजनीतिक विज्ञान जैसे विषय सामान्य अध्ययन से काफी मेल खाते हैं, जिससे तैयारी में दोहराव कम होता है और अन्य पेपरों में भी लाभ मिलता है।”

आसान है समझना


आईटी ग्रेजुएट और आरबीआई मुंबई में प्रबंधक रोहित सिंघल, जिन्होंने 70वीं रैंक हासिल की, ने public administration को वैकल्पिक विषय के रूप में चुना। उनका कहना है कि टेक्निकल विषयों की तुलना में humanities अधिक सहज और समय के अनुररोप होती है। वहीं कंप्यूटर साइंस में डिग्री रखने वाले आकाश गर्ग, जो परीक्षा में 5वें स्थान पर रहे, ने सोशियोलॉजी को चुना। उनके अनुसार, सफलता में बैकग्राउंड से अधिक जरूरी है विश्लेषण क्षमता और निरंतरता।

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