लॉरेंट की डॉक्टरेट थीसिस का विषय था-'Bose polarons in superfluids and supersolids'। यह क्वांटम मैकेनिक्स के अत्यंत चुनौतीपूर्ण हिस्सों से जुड़ा विषय है।
Who Is Laurent Simons: अल्बर्ट आइंस्टाइन को सदियों से दुनियाभर के लोग जानते और समझने की कोशिश करते हैं। हाल के वर्षों में एक और नाम वैश्विक स्तर पर तेजी से उभर रहा है। केवल 15 साल की उम्र में क्वांटम फिजिक्स जैसे कठिन विषय में पीएचडी पूरी कर लेने वाले बेल्जियम की लॉरेंट साइमन्स(Laurent Simons) को अब लोग ‘लिटिल आइंस्टाइन’ कहकर बुलाने लगे हैं। इतनी कम उम्र में ऐसा कारनामा सचमुच अद्भुत है। 2009 में बेल्जियम में जन्मे लॉरेंट ने शुरुआती उम्र से ही अपनी असाधारण बुद्धिमत्ता से सभी को चकित किया। जहां उनके उम्र के बच्चे खेलकूद में लगे रहते हैं, वहीं लॉरेंट की दुनिया किताबों, प्रयोगों और रिसर्च से घिरी रही।
8 साल की उम्र में हाई स्कूल पूरा
11 साल में फिजिक्स में बैचलर डिग्री
12 साल की उम्र में क्वांटम फिजिक्स में मास्टर
और अब 15 साल में पीएचडी
लॉरेंट से पहले इतिहास में सबसे कम उम्र में पीएचडी पाने का रिकॉर्ड कार्ल विटे के नाम था, जिन्होंने 1814 में 13 साल 283 दिन की उम्र में डॉक्टरेट पूरी की थी।
इसके अलावा डोरोथी जीन टिलमैन ने 17 साल और शो यानो ने 18 साल में अपनी पीएचडी पूरी की थी। जिस रिकॉर्ड को अब लॉरेंट साइमन्स ने तोड़ दिया है।
लॉरेंट की डॉक्टरेट थीसिस का विषय था-'Bose polarons in superfluids and supersolids'। यह क्वांटम मैकेनिक्स के अत्यंत चुनौतीपूर्ण हिस्सों से जुड़ा विषय है। उन्होंने न सिर्फ थीसिस जमा की, बल्कि इसे सफलतापूर्वक डिफेंड भी किया, जिससे वे दुनिया की सबसे कम उम्र में पीएचडी करने वाले युवाओं में शामिल हो गई।
9 साल की उम्र में उन्होंने नीदरलैंड की प्रतिष्ठित Eindhoven University of Technology में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में एडमिशन लिया। कुछ समय बाद डेडलाइन के मुद्दों पर मतभेद के चलते उन्होंने यह कोर्स छोड़ दिया। 12 साल की उम्र में उन्होंने केवल 18 महीनों में बैचलर ऑफ फिजिक्स पूरा कर डिस्टिंक्शन प्राप्त की। साथ ही मास्टर के दौरान मिली क्वांटम ऑप्टिक्स रिसर्च इंटर्नशिप ने उन्हें भविष्य में फिजिक्स और मेडिसिन को जोड़कर काम करने की प्रेरणा दी। उनका आईक्यू लगभग 145 बताया जाता है, जो उन्हें हाई-गिफ्टेड कैटेगरी में रखता है।
लॉरेंट के टैलेंट को देखते हुए अमेरिका और चीन की कई प्रमुख टेक कंपनियों ने उन्हें शानदार ऑफर्स दिए। लेकिन लॉरेंट ने इन ऑफर्स को स्वीकार नहीं किया। उनका सपना है ऐसी टेक्नोलॉजी विकसित करना जो इंसान की उम्र बढ़ा सके और मानव क्षमता को अगले स्तर पर ले जाए।