मनोरंजन

Patrika Interview: कट्टरता पर सभी की सोच बदलनी होगी, तब बदलाव संभव- राजा मुराद

इजराइल-ईरान तनाव पर प्रतिक्रिया देते हुए राजा मुराद ने कहा, अभी हालात तीसरे विश्व युद्ध जैसे बनते जा रहे हैं। पहले ईरान अकेले लड़ रहा था, अब इजराइल की ओर से अमरीका भी आ गया है।

2 min read
Jun 23, 2025
अभिनेता रजा मुराद ने पत्रिका से की खास बातचीत (Photo-Patrika)

जाने-माने अभिनेता रजा मुराद का मानना है कि कट्टरता के खिलाफ सिर्फ एक वर्ग नहीं, हर किसी को अपनी सोच बदलनी होगी, तभी असली बदलाव संभव है। रायपुर प्रवास के दौरान बातचीत में उन्होंने साफ कहा, अगर सोच में बदलाव सिर्फ एक तबका करे, तो पूरा देश नहीं बदलेगा। सबको अपनी सोच बदलनी होगी। इजराइल-ईरान तनाव पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा, अभी हालात तीसरे विश्व युद्ध जैसे बनते जा रहे हैं। पहले ईरान अकेले लड़ रहा था, अब इजराइल की ओर से अमरीका भी आ गया है। हम तो यही चाहते हैं कि युद्ध न हो, क्योंकि यह सबसे बुरी चीज है। लड़ाई में किसी का फायदा नहीं होता। आज पूरी दुनिया बारूद के ढेर पर बैठी है। यह न फटे तो अच्छा है।

सिनेमा: तब और अब

70-80 के दशक और आज की फिल्मों में अंतर बताते हुए उन्होंने कहा, हर दौर में नई पीढ़ी आती है, उनके विचार और स्टाइल भी अलग होते हैं। आज की जनरेशन बोल्ड विषयों पर फिल्में बना रही है, एक्सपेरिमेंट कर रही है और कई बार कामयाबी भी मिल रही है। लेकिन एक कमी जरूर महसूस होती है। राज कपूर, विमल राय, महबूब खान और गुरु दत्त जैसे दिल से फिल्में बनाने वालों की। उन्होंने कहा, पहले फिल्में दिल से बनती थीं। आज कॉरपोरेट हाउस हैं, सिस्टमेटिक काम होता है, लेकिन वो जज्बा कहीं कम हो गया है। पहले एक हीरो पर पूरा सिस्टम टिका होता था। हीरो की पसंद से कहानी, संगीत, कास्ट सब तय होती थी। आज सब अपने-अपने हिस्से का काम कर रहे हैं, और यह एक बेहतर बदलाव है।

बॉयोपिक: एक नया दौर

हमारे जमाने में किसी की जीवनी पर फिल्में नहीं बनती थीं। आज ज्यादा लोगों पर बॉयोपिक बन रही है। जैसे मैरी कॉम, मिल्खा सिंह, धोनी, अजरुद्दीन। यह अच्छी बात है कि अब कद्र जीते जी हो रही है।

खुद के काम में कमी

हर बार। हम जब भी खुद को स्क्रीन पर देखते हैं, तो क्रिटिक की नजर से देखते हैं। लगता है, इससे बेहतर किया जा सकता था। कहीं न कहीं कोई कमी तो रह ही गई है।

कौन सा किरदार सबसे करीब है?

हिना फिल्म में पाकिस्तानी पुलिस इंस्पेक्टर का रोल किया था। 35 साल बाद भी जब वह देखता हूं, तो लगता है शायद आज भी इससे बेहतर न कर पाऊं।

राज कपूर से जुड़ी यादें

राज साहब जैसे फिल्ममेकर कम ही हुए हैं। उनकी दुनिया में सिर्फ एक ही चीज थी उनकी फिल्म। वे फिल्म को ओढ़ते-पहनते थे। उनका एक डायलॉग है ‘मां नहीं, बाप नहीं, तू नहीं, मैं नहीं। कुछ भी नहीं रहता। राज कपूर फिल्म बनाते नहीं थे, वो उसे जीते थे।

Published on:
23 Jun 2025 09:49 pm
Also Read
View All

अगली खबर