जन्म दर में हम टॉप पांच राज्यों में शामिल स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की रिपोर्ट में खुलासा
अजमेर। क्षेत्रफल के हिसाब से देश के सबसे बड़े राज्य राजस्थान में स्वास्थ्य सेवाओं को और सुधारने की जरूरत है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की हाल में जारी रिपोर्ट पर गौर किया जाए तो शिशु मृत्यु दर और जन्म दर के मामले में राजस्थान के आंकड़े राष्ट्रीय दर को पार कर गए हैं। दोनों ही मसलों में ग्रामीण की तुलना में शहरी आंकड़ों की संख्या ज्यादा मापी गई है। देश की शिशु मृत्यु दर (प्रतिवर्ष जन्म लेेने वाले एक हजार बच्चों में मृत होने वाले बच्चों की संख्या) 28 है। राजस्थान में इनकी संख्या 32 है जो कि देश में चौथी सर्वाधिक संख्या है। सबसे अधिक मृत्यु दर मध्य प्रदेश की 43 है। छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश की शिशु मृत्यु दर 38 है। यह देश की दूसरी सर्वाधिक संख्या है।
रिपोर्ट बताती है कि देश में आबादी बढ़ाने में राजस्थान देश के टॉप राज्यों में शुमार है। रिपोर्ट के अनुसार देश की जन्म दर (प्रतिवर्ष प्रति एक हजार की आबादी पर जन्म लेने वाले शिशुओ की संख्या) करीब 20 है। राजस्थान इस दर को पार कर 24 पर पहुंच गया है जो कि मध्य प्रदेश के साथ देश में तीसरी सर्वाधिक संख्या है। रिपोर्ट के अनुसार शहरों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में जन्म दर अधिक है।
सुविधाएं उपलब्ध कराना जरूरी
पीएचसी एवं सीएचसी के लेबर रूप में आज भी कमियां हैं। एट ए टाइम डॉक्टर नहीं मिलने, एट द टाइम रैफर नहीं करने, ट्रांसपोर्ट नहीं मिलने से राजस्थान में शिशु मृत्यु दर ज्यादा है। आज भी हार्ड रिच एरिया हैं जिनमें 104 एवं 108 एम्बुलेंस नहीं पहुंच पाती है। इन संस्थानों पर सुविधाएं उपलब्ध करवाना जरूरी है। बर्थ रेट बढ़ने के कई कारण हैं। फिमेल चाइल्ड होने पर मेल चाइल्ड के लिए दो से अधिक संतान हो रही है। नसबंदी की सुविधाएं हैं मगर कुछ लोग नसबंदी नहीं कराते हैं।
इन्द्रजीत सिंह, संयुक्त निदेशक अजमेर जोन