Mahashivratri Ki Katha: महाशिवरात्रि की कई कहानियां आपने पढ़ी और सुनी होगी, आज हम शिव पुराण की वह कहानी बताते हैं जिसमें आज ही के दिन ब्रह्माजी और केतकी को एक झूठ की बड़ी सजा मिली थी (Shiv Puran) ..
Shiv Puran Story: ज्योतिषी डॉ. अनीष व्यास के अनुसार शिवपुराण में उल्लेख है कि सृष्टि के आरंभ में प्राकट्य के साथ ही ब्रह्मा-विष्णु के बीच विवाद हो गया। झगड़े की वजह यह थी कि दोनों ही देवता खुद को श्रेष्ठ बता रहे थे। जब दोनों देवता दिव्यास्त्रों से युद्ध शुरू करने वाले थे, ठीक उसी समय फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी के दिन भगवान शिव लिंगरूप में इनके सामने प्रकट हो गए।
शिव जी ने कहा कि आप दोनों में से जो भी इस लिंग का छोर (अंत) खोज लेगा, वही श्रेष्ठ माना जाएगा। यह बात सुनकर एक छोर की ओर ब्रह्मा जी और दूसरे छोर की ओर विष्णु जी चल दिए। बहुत समय तक ब्रह्मा-विष्णु अपने-अपने छोर की ओर आगे बढ़ते रहे, लेकिन उन्हें शिवलिंग का अंत नहीं मिला। उस समय ब्रह्मा जी खुद को श्रेष्ठ घोषित करने के लिए एक योजना बनाई।
ब्रह्मा ने एक केतकी का पौधा लिया और उससे झूठ बोलने के लिए कहा कि वह शिव-विष्णु के सामने बोले कि ब्रह्मा जी ने लिंग का अंत खोज लिया है। ब्रह्माजी केतकी के पौधे को लेकर शिवजी के पास पहुंचे, विष्णु जी भी वहां आ गए और विष्णुजी ने कहा कि मैं इस लिंग का अंत नहीं खोज सका। ब्रह्माजी ने कहा कि मैंने इस लिंग का अंत खोज लिया है, ये बात आप केतकी के पौधे से भी पूछ सकते हैं। केतकी ने भी भगवान के सामने झूठ बोल दिया।
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ब्रह्मा जी का झूठ सुनते ही शिव जी क्रोधित हो गए। उन्होंने कहा कि आपने झूठ कहा है, इसलिए आज से आपकी कहीं भी पूजा नहीं होगी और केतकी ने आपके झूठ में साथ दिया, इसलिए इसके फूल मेरी पूजा में वर्जित रहेंगे। इसके बाद विष्णु जी सर्वश्रेष्ठ घोषित हो गए। ये घटना फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की ही मानी जाती है, इसलिए इस तिथि पर महाशिवरात्रि पर्व मनाने की परंपरा है।