फिरोजाबाद

लूटकांड में वर्दी पर दाग: करोड़ों की नकदी लूट में जीआरपी मुख्य आरक्षी समेत दो पुलिसकर्मी गिरफ्तार

फिरोजाबाद में करोड़ों की नकद लूटकांड ने पुलिस महकमे को झकझोर दिया है। जांच में खुलासा हुआ कि दो पुलिसकर्मी ही लुटेरों के साथ मिले थे। जीआरपी मुख्य आरक्षी अंकुर प्रताप सिंह और आरक्षी मनोज को पांच-पांच लाख रुपये सहित गिरफ्तार किया गया। पुलिस अब पूरे नेटवर्क की पड़ताल में जुटी है।

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गिरफ्तार सिपाही फोटो सोर्स पुलिस ट्विटर अकाउंट

फिरोजाबाद जिले में 30 सितंबर को हुई करोड़ों की नकद लूट की गुत्थी सुलझाने में जुटी पुलिस टीम के सामने ऐसा खुलासा हुआ। जिसने पूरे महकमे को हिलाकर रख दिया। थाना मक्खनपुर क्षेत्र के घुनपई गांव के पास जीके कंपनी की कैश वैन से 1.5 से 2 करोड़ रुपये की लूट में अब खुद पुलिसकर्मी ही शामिल निकले। जीआरपी आगरा में तैनात मुख्य आरक्षी अंकुर प्रताप सिंह और एक अन्य पुलिसकर्मी मनोज पर अपराधियों से मिलीभगत कर लूट की रकम बाँटने का आरोप लगा है। दोनों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।

जानकारी के मुताबिक, फिरोजाबाद जिले में 4 अक्टूबर को थाना मक्खनपुर, शिकोहाबाद, रामगढ़ और एसओजी/सर्विलांस टीम ने संयुक्त अभियान चलाकर इस सनसनीखेज वारदात का पर्दाफाश किया था। पुलिस ने छह शातिर लुटेरों को गिरफ्तार किया था। जिनके कब्जे से 1 करोड़ 5 हजार 310 रुपये नकद, लूट के पैसों से खरीदा गया एक आईफोन, एक मोटरसाइकिल की रसीद, दो चारपहिया वाहन और अवैध असलहे बरामद किए गए थे। वहीं, 5 अक्टूबर को 50 हजार के इनामी बदमाश नरेश पुलिस मुठभेड़ में घायल होने के बाद इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।

पांच-पांच लाख कैश के साथ दो पुलिसकर्मी गिरफ्तार

जांच के दौरान जब पुलिस ने लूट की रकम के प्रवाह और कॉल डिटेल खंगाले तो चौंकाने वाला सच सामने आया। इस लूट की भनक दो पुलिसकर्मियों को पहले से थी। दोनों ने वारदात से पहले नई दिल्ली जाकर नकद रकम ली। अपराधियों को पुलिस कार्रवाई की अंदरूनी जानकारी देने का वादा किया था। 7 अक्टूबर को जीआरपी मुख्य आरक्षी अंकुर प्रताप सिंह को 5 लाख रुपये सहित गिरफ्तार किया गया। जबकि 8 अक्टूबर को मुख्य आरक्षी मनोज को भी उतनी ही रकम के साथ बिल्टीगढ़ चौराहा अंडरपास के पास से दबोच लिया गया।

पुलिस अब इस बात का जांच कर रही गिरोह में कितने लोग शामिल

दोनों से पूछताछ में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आने की उम्मीद है। पुलिस अब यह भी जांच कर रही है कि इस गिरोह से और कौन-कौन पुलिसकर्मी या स्थानीय लोग जुड़े थे। विभागीय जांच के आदेश दे दिए गए हैं। इस खुलासे ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि जब वर्दी ही अपराधियों की साथी बन जाए। तो आम जनता किस पर भरोसा करे?

Published on:
08 Oct 2025 09:43 pm
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