केंद्र और राज्य सरकार दिव्यांग जनों के लिए पेंशन सहित आठ तरह की योजनाएं चला रही है। समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए हर तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। आइये जानते हैं। क्या है पूरी योजना?
केंद्र और राज्य सरकार के सामूहिक प्रयास से दिव्यांग जनों के लिए शिक्षा, इलाज, रोज़गार और सम्मानजनक जीवन जैसी बुनियादी सुविधाओं से कहीं न कहीं वंचित रह जाते हैं। इन्हीं चुनौतियों को देखते हुए केंद्र सरकार ने कई योजनाएँ शुरू की हैं। जिनका मकसद है कि दिव्यांगजनों को सुरक्षित घर, स्वास्थ्य बीमा, उपकरण, भत्ता और प्रशिक्षण देकर उन्हें मुख्यधारा से जोड़ना।
केंद्र सरकार और राज्य सरकार दिव्यांगजनों को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से अनेक योजनाएँ लागू की हैं। जिन लोगों को चलने-फिरने, बोलने, सीखने या रोजमर्रा के काम करने में परेशानी होती है। उनके लिए घरौंदा योजना बड़ी मदद साबित हो रही है। इस योजना में 18 साल से ऊपर के ऐसे दिव्यांगों को सुरक्षित आवास, मेडिकल सुविधा, थेरेपी और कौशल प्रशिक्षण मिलता है। वहीं समर्थ योजना उन दिव्यांगजनों के लिए है। जो अनाथ हैं। परित्यक्त हैं। या जिनके परिवार संकट में हैं। यहाँ उन्हें समूह में रहकर पूरा सहयोग और देखभाल मिलती है।
10 साल से ऊपर के बच्चों के लिए विकास डे-केयर योजना चलाई जा रही है। इसमें बच्चों को 6 घंटे की दिनभर की गतिविधियों के जरिए आत्मनिर्भर बनने की ट्रेनिंग दी जाती है। काउंसलिंग, थेरेपी और पढ़ाई के साथ उन्हें यह भी सिखाया जाता है, कि रोजमर्रा के छोटे-छोटे काम कैसे खुद से किए जाएँ।
स्वास्थ्य की बात करें तो निरामया स्वास्थ्य बीमा योजना दिव्यांग परिवारों के लिए राहत बनकर आई है। इसमें 1 लाख रुपये तक का इलाज कवर होता है। जिसमें दवाइयाँ, अस्पताल, सर्जरी और थेरेपी सब शामिल है। इसके अलावा ADIP योजना के तहत व्हीलचेयर, श्रवण यंत्र, छड़ी, कृत्रिम पैर और अन्य सहायक उपकरण रियायत पर दिए जाते हैं। वहीं छात्रवृत्ति, विवाह प्रोत्साहन और बेरोज़गारी भत्ता भी कई राज्यों में उपलब्ध है। दिव्यांगजन और उनके परिवारों की देखभाल में प्रशिक्षित सहायक की जरूरत को देखते हुए सरकार ने सहयोगी योजना शुरू की है। जिसमें युवाओं को केयर-एसोसिएट बनने की ट्रेनिंग दी जाती है। वहीं बढ़ते कदम जैसे कार्यक्रम समाज में जागरूकता बढ़ाने का काम कर रहे हैं। इन सभी योजनाओं का उद्देश्य एक ही है। दिव्यांगजन केवल सहानुभूति के नहीं, बल्कि अवसरों और अधिकारों के हकदार हैं। सरकार की पहल उन्हें उसी दिशा में आगे बढ़ाने की कोशिश है।