गोरखपुर के विकास भवन स्थित PNB ब्रांच में डमी एकाउंट खोल सरकारी धन हड़पने के मामले में बैंक के तत्कालीन मैनेजर श्यामानंद चौबे सहित चपरासी तक पर केस दर्ज हुआ था। इनमें बैंक के तत्कालीन लोन इंचार्ज प्रदीप कुमार जायसवाल व ओम प्रकाश मल्ल, हेड कैशियर राजेंद्र कुमार तथा बैंक का तत्कालीन चपरासी अरविंद कुमार शामिल है।
गोरखपुर में गुरुवार को CBI के साथ ही ED लखनऊ की टीम रजिस्ट्री कार्यालय पहुंची। अधिकारियों ने दो संपत्तियों की रजिस्ट्री पर रोक लगाने का निर्देश दिया है। इनमें से एक संपत्ति गोरखपुर सदर तहसील में है तो दूसरी खजनी तहसील में। दोनों एजेंसियां गोरखपुर में पंजाब नेशनल बैंक की विकास भवन शाखा में हुए 6.51 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच कर रही हैं। आशंका है कि ये संपत्तियां आरोपियों ने घोटाले की रकम से अर्जित की है। AIG स्टांप संजय कुमार दुबे ने दोनों तहसीलों के सब रजिस्ट्रार को संपत्तियों की रजिस्ट्री रोकने का निर्देश दिया है।
उन्होंने कहा कि बिना अगले आदेश के इन संपत्तियों की रजिस्ट्री नहीं की जाएगी। टीम की ओर से एआईजी को 52 पन्नों की रिपोर्ट दी गई है। जिन संपत्तियों पर रोक लगाने को कहा गया है, उनमें एक संपत्ति वंदना तिवारी पत्नी संतोष तिवारी की है।यह संपत्ति महादेव झारखंडी टुकड़ा नंबर एक स्थित आराजी नंबर 419/1 में 1052 वर्ग फीट में निर्मित मकान है। इसी तरह दूसरी संपत्ति सभाजीत शुक्ला पुत्र गंगा दयाल शुक्ला के नाम से है जो खजनी के साहूलखोर स्थित गाटा संख्या 203/22 में 30 डेसीमल भूमि है।
गोरखपुर के विकास भवन में स्थित पंजाब नेशनल बैंक की शाखा में डमी एकउंट खोलकर पैसे निकालने का मामला प्रकाश में आया था। बैंक प्रबंधन ने इस मामले की जांच CBI से कराने के लिए पत्र लिखा था। बैंक अधिकारियों के मुताबिक पूर्व शाखा प्रबंधक श्यामानंद चौबे ने बैंक कर्मियों का पूरा गिरोह तैयार किया था और चार साल 5 जुलाई 2011 से लेकर 11 जुलाई 2015 के बीच 5. 51 करोड़ रुपये निकाल लिए गए। इस दौरान 13 डमी एकाउंट खोले गए थे।इस मामले में पंजाब नेशनल बैंक गोरखपुर सर्किल के मुख्य प्रबंधक आरके श्रीवास्तव ने CBI में तहरीर दी थी। जिसके आधार पर 2017 में केस दर्ज किया गया था।