Gwalior News: चार साल पहले बंद हो चुकी नैरोगेज के चार इंजन हो चुके हैं कंडम, शहर के लिए हेरिटेज ट्रेन चलाने का सपना अब सपना बनकर रह जाएगा... जानें क्यों
Gwalior News: 119 साल पुरानी ग्वालियर की धरोहर (119 year old Gwalior heritage) नैरोगेज ट्रेन (Narrow Gauge) की अब यादों में ही रह गई है। शहर के लिए हेरिटेज ट्रेन चलाने का सपना अब सपना बनकर रह जाएगा, लेकिन रेलवे अपने नैरोगेज सेक्शन में रखे इंजनों का मेंटेनेंस हर दिन करके इन्हें आज भी जिंदा रखे हुए है। इन इंजनों के लिए तैनात कर्मचारी हर दिन इनको स्टार्ट करके इनकी देखरेख कर रहे हैं।
रेलवे बोर्ड के आदेशानुसार चालू हालत में इंजनों की देखरेख करते रहना है। इसको देखते हुए यहां पर पांच कर्मचारियों की ड्यूटी इन इंजनों के मेंटेनेंस के लिए ही लगाई गई है। नैरोगेज सेक्शन में तो अब ब्रॉडगेज का काम तेजी से चल रहा है। जिससे अगले वर्ष तक श्योपुर तक तेज स्पीड से ट्रेनें दौड़ती नजर आएंगी। वहीं नैरोगेज का नामोनिशान धीरे- धीरे बंद हो जाएगा।
जब नैरोगेज ट्रेन बंद हुई तो यहां के इंजनों को दूसरे जोन में रेलवे द्वारा भेजने का काम शुरू किया गया। इसमें अभी भी पांच इंजनों को भेजने के लिए आदेश एक साल पहले हो चुके हैं। इसमें झांसी के लिए दो, बेंगलुरु, रेवाडी़ और भुवनेश्वर को एक- एक इंजन भेजा जाना है। यह सभी इंजन इन शहरों की शान बढ़ाएगे।
कोरोना काल से ही नैरोगेज ट्रेन बंद हो गई है। उस समय नैरोगेज सेक्शन में 13 नए व पुराने इंजन थे। इसमें से 4 इंजन पहले ही बाहर भेजे जा चुके है। जिसमे दो इंजन मॉडर्न कोच फैक्ट्री रायबरेली, एक इंजन जबलपुर मंडल और एक चितरंजन भेजा गया है। वहीं एक इंजन काफी समय से कंडम हो चुका है। इसके चलते यहां पर अभी 8 इंजन रखे हुए है।
नैरोगेज के बंद होने के साथ शहर के बीच में बिछी नैरोगेज की पटरियों पर अब कब्जा होने लगा है। ग्वालियर रेलवे स्टेशन से लेकर मोतीझील तक नैरोगेज इस रेलवे ट्रैक पर ज्यादा पटरियों के ऊपर आसपास के लोगों ने कब्जा कर लिया है। वहीं कई जगहों पर तो अब पटरी दिखाई ही नहीं दे रही है।