शहर में 307 दूध डेरियां मुसीबत बन गई हैं। कॉलोनी व मोहल्लों में गंदगी फैला रही है। साथ ही सीवर को भी जाम कर रही हैं। इनकी वजह से 12 महीने सीवर की समस्या रहती है, क्योंकि ये सीवर में गोबर बहाती है और सडक़ पर गंदगी।
शहर में 307 दूध डेरियां मुसीबत बन गई हैं। कॉलोनी व मोहल्लों में गंदगी फैला रही है। साथ ही सीवर को भी जाम कर रही हैं। इनकी वजह से 12 महीने सीवर की समस्या रहती है, क्योंकि ये सीवर में गोबर बहाती है और सडक़ पर गंदगी। नगर निगम ने ऐसी डेरियों का सर्वे किया था और उन पर जुर्माने, लेकिन जुर्माने के बाद भी ये नहीं सुधरे हैं। ये लगातार गोबर बहा रहे हैं। गोबर लाइनों में भी जमा रहा है, जिससे हटाने में नगर निगम की मशीनों का दम फूल रहा है।
शहर में 320 किलोमीटर सीवर लाइन क्षतिग्रस्त है, जबकि 500 किलोमीटर से अधिक नेटवर्क अंडर साइज हो चुका है। शहरों से जो सीवर निकल रहा है, वह लाइनों में नहीं बह पा रहा है। इसी वजह डेरियां भी मिश्किल बढ़ा रही है। इनका गोबर सीवर को चोक कर रहा है। एक डेयरी से औसतन 5 क्विंटल तक गोबर बहाया जा रहा है। इनके पास गोबर को डालने के लिए जगह नहीं है। डेयरी के अंदर से सीवर में बहा देते हैं।
349 कर्मचारी चाहिए, सबसे ज्यादा ग्वालियर पूर्व में
- सफाई व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए 349 कर्मचारियों की जरूरत है। सबसे ज्यादा कमी ग्वालियर पूर्व विधानसभा में है। इस विधानसभा में 123 कर्मचारी कम है। ग्वालियर दक्षिण में 105 कर्मचारी कम है। ग्वालियर में 90 कर्मचारी कम है। 24 कर्मचारी ग्रामीण वार्ड में कम है।
- सीवर सफाई के लिए 30 नई डी शिल्ट मशीनों की जरूरत है। वर्तमान में जो मशीनें चल रही हैं, वह पुरानी चुकी हैं। इनमें प्रेशर नहीं है। इसके चलते सफाई नहीं कर पाती हैं।
- सीवर में ईंट, गिट्टी, रेत, मिट्टी, प्लास्टिक, बोतल अधिक गिरती हैं। इन्हें निकालने के लिए नई मशीनों की जरूरत है। यह सामग्री सीवर में गिर जाती है तो निकालना मुश्किल होता है।
डेयरियों पर लगातार कार्रवाई कर जुर्माना वसूल किया जा रह है। न्यायालय में भी परिवाद दायर किए हैं। डेयरी वालों को चेतावनी भी दे रहे हैं।
अमरसत्य गुप्ता, उपायुक्त नगर निगम