MP News: ग्वालियर में एयरफोर्स स्टेशन महाराजपुरा से महज 3.5 किमी दूरी पर बांग्लादेशी नागरिकों का परिवार अवैध रूप से रह रहा था। पुलिस और खुफिया एजेंसियों ने शुक्रवार को दीनदयाल नगर से 8 लोगों को पकड़ा है।
MP News:ग्वालियर में एयरफोर्स स्टेशन महाराजपुरा से महज 3.5 किमी दूरी पर बांग्लादेशी नागरिकों का परिवार अवैध रूप से रह रहा था। पुलिस और खुफिया एजेंसियों ने शुक्रवार को दीनदयाल नगर (कोठारी कॉम्प्लेक्स के पास) से 8 लोगों को पकड़ा है। इनमें 3 महिलाएं और 4 बच्चे शामिल हैं। शुरुआती जांच में सामने आया कि ये सभी करीब 12 साल से भारत में रह रहे थे, और इनमें से एक आरोपी एयरफोर्स परिसर के अंदर तक कचरा उठाने जाता रहा है।
पूछताछ में शरीफ ने खुलासा किया कि देवेन्द्र गुर्जर ने ही उसका और उसकी पत्नी का आधार और पैन कार्ड बनवाया था। कार्ड में पिता के नाम की जगह देवेन्द्र का नाम दर्ज कराया गया। देवेन्द्र होटल और संस्थानों से कचरा उठवाने का ठेका लेता था और इसी काम में शरीफ और उसके परिवार को लगाया गया था। वयस्कों को 15 हजार और बच्चों को 6 हजार रुपये मासिक वेतन दिया जाता था।
हरियाणा पुलिस ने 23 सितंबर को पानीपत की बत्रा कॉलोनी से एक बांग्लादेशी परिवार पकड़ा था। पूछताछ में बताया कि ग्वालियर में भी उनके रिश्तेदार रह रहे हैं। इस इनपुट के बाद ग्वालियर पुलिस ने कार्रवाई की और शनिवार को यह गिरफ्तारी हुई।
मुख्य आरोपी मोहम्मद शरीफ (40) पुत्र नूर मोहम्मद, निवासी नोफड़ा जिला जसोर (बांग्लादेश) ने बताया कि वह लगभग 12 साल पहले पत्नी नीलिमा (32) और बच्चों रहीम (14) व चुमकी (22) के साथ सरहद पार कर भारत आया था। शरीफ के अनुसार, ग्वालियर में उसे पिंटो पार्क निवासी ठेकेदार देवेन्द्र कंसाना उर्फ देवेन्द्र गुर्जर ने पनाह दी। देवेन्द्र के जरिए ही उसने दीनदयाल नगर में ठिकाना बनाया। बाद में उसका भांजा रातुल (22) और चचेरा भाई आशिक (15) भी दलालों की मदद से यहां आ गए।
पकड़े गए लोगों की तस्दीक की जा रही है। इनकी जानकारी राज्य सरकार और उनके जरिए विदेश मंत्रालय को भेजी जाएगी। उसके आधार पर अवैध तरीके से रहने वालों को वापस बांग्लादेश भेजा जाएगा। इस प्रक्रिया में कुछ वक्त लगेगा। तब इन लोगों को डिटेंशन सेंटर में रखा जाएगा। संदेहियों से भी पूछताछ की जा रही है।- धर्मवीर सिंह यादव, एसएसपी, ग्वालियर
शरीफ और रातुल ने कबूल किया कि वे सफाई कर्मचारियों के साथ एयरफोर्स स्टेशन परिसर के अंदर कचरा उठाने जाते थे। यह सिलसिला कई महीनों तक चला, हालांकि करीब 10 महीने पहले यहां आना-जाना बंद हुआ। शरीफ ने यह भी बताया कि उसे बांग्लादेश से पिता नूर मोहम्मद लाया था, जो ग्वालियर में कचरा बीनने का काम करता था और बाद में खदान के पास बावड़ी में डूबने से उसकी मौत हो गई थी।