हाईकोर्ट की एकल पीठ ने एलएनआईपीई (लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा विश्वविद्यालय) में सात साल पहले हुए यौन शोषण मामले में अहम फैसला सुनाया है।
हाईकोर्ट की एकल पीठ ने एलएनआईपीई (लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा विश्वविद्यालय) में सात साल पहले हुए यौन शोषण मामले में अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने तत्कालीन कुलपति प्रो. दिलीप दुरेहा पर टिप्पणी करते हुए कहा कि संस्थान ऐसे व्यक्ति के नियंत्रण में रखा, जो सेवा में रखे जाने योग्य नहीं था। कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद कोर्ई कार्रवाई नहीं की। एक महिला ने अपनी प्रतिष्ठा को भी खोया। कोर्ट ने दिलीप दुरेहा पर 35 लाख रुपए का हर्जाना लगाया। एलएनआईपीई पर 1 लाख व शासन पर 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया। जुर्माने की राशि संबंधित पुलिस अधिकारी से वसूली की जाए, जिसके पास शिकायत पहुंची और उसने यौन शोषण का केस दर्ज नहीं किया। चार सप्ताह में राशि वसूल कर पीडि़ता को देनी होगी। कुल 41 लाख रुपए दिए जाने का आदेश दिया है।
-पुलिस: कोर्ट ने कहा कि पुलिस अधिकारियों द्वारा किया गया अमानवीय और असहानुभूतिपूर्ण व्यवहार उन्हें दंड का पात्र बनाता है। इसलिए पीडि़ता को 5 लाख रुपए का मुआवजा देने का निर्देश दिया जाता है, जो अधिकारियों इसके लिए जिम्मेदार है। उससे राशि वसूली की जाए।
- संस्थान: कार्यस्थल पर उचित न्याय नहीं दिया गया। याचिकाकर्ता को यौन उत्पीडऩ का सामना करना पड़ा। जिससे उसका बहुमूल्य समय बर्बाद हुआ। इसलिए 1 लाख रुपए का राशि एलएनआईपीई को देनी होगी।
दरअसल योग शिक्षक मार्च 2019 में सुबह 7 बजे क्लास लेने जा रही थी। उसी बीच तत्कालीन कुलपति दिलीप दुरेहा रास्ते में मिले और गलत नीयत से हाथ लगाया। इससे महिला शिक्षक घबरा गई। उस वक्त शिकायत नहीं की, लेकिन फिर से कुलपति ने शिक्षक के साथ गलत हरकत की। इस हरकत की शिकायत महिला उत्पीडऩ के लिए बनी कमेटी में की। कमेटी में शिकायत सही पाई गई। रिपोर्ट आने के बाद दिलीप दुरेहा प कोई कार्रवाई नहीं की। एफआईआर के लिए थाने में आवेदन भी दिया, लेकिन महिला की किसी ने नहीं सुनी। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद तीन साल बाद एफआईआर दर्ज हुई। महिला की 2020 से याचिका हाईकोर्ट में लंबित थी। इस याचिका पर 2 जुलाई को बहस हुई। मंगलवार को हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया।
- दिलीप दुरेहा बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर थे। उन्हें एलएनआईपीई का कुलपति बनाया गया था। यह सेवा निवृत्त हो चुके हैं।