बीएलओ दंपती शेर मोहम्मद जाटू और हसरत बानो दिव्यांगता और मुश्किल हालात के बावजूद अपनी जिम्मेदारियां निष्ठा से निभा रहे हैं। समय से पहले चुनावी कार्य पूरा करने वाले इस दंपती को कई बार प्रशासन द्वारा सम्मानित किया जा चुका है।
International Disability Day Special हनुमानगढ़। न कभी दिव्यांगता उनकी मेहनत के आड़े आई और न ही इसे कभी काम टालने का बहाना बनाया। शेर मोहम्मद जाटू और उनकी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पत्नी हसरत बानो कई साल से सरकारी सेवा के साथ बीएलओ की जिम्मेदारी भी पूरी निष्ठा से निभा रहे हैं।
वे न लोगों की हतोत्साहित करने वाली टिप्पणियों से विचलित हुए और न ही हालात से। यही कारण है कि यह बीएलओ दंपती समय से पहले ही एसआईआर से संबंधित अपना कार्य पूर्ण कर चुका है। दंपती चुनाव संबंधी कार्यों के चलते कई बार सम्मानित भी हो चुका है। गृहस्थी के साथ-साथ वे लोकतंत्र की गाड़ी को आगे बढ़ाने में भी योगदान दे रहे हैं।
बीएलओ शेर मोहम्मद ने बताया कि पति-पत्नी दोनों नौकरी में हों तो कई कठिनाइयां आती हैं। यदि नौकरी के साथ चुनाव संबंधी कार्य भी सौंप दिया जाए तो यह किसी के लिए भी चुनौती हो सकती है। हमने इस चुनौती को स्वीकारा और हमेशा जिम्मेदारी को बेहतर ढंग से निभाने का प्रयास किया।
दिव्यांगता को कभी काम के बीच नहीं आने दिया और न ही इसके नाम पर सहूलियत मांगी। संघर्ष करता गया तो स्वयं भी निखरता गया। उन्होंने कहा कि दिव्यांगजनों का सरकारी सेवा में कोटा बढ़ाया जाए तथा व्यवसाय के लिए लोन प्रक्रिया आसान हो और सब्सिडी दी जाए ताकि और संबल मिल सके।
विधानसभा चुनाव और कोविड-19 के दौरान दंपती ने हर जिम्मेदारी ईमानदारी से निभाई। इसी कारण जिला और उपखंड प्रशासन दोनों उन्हें सम्मानित कर चुके हैं। उनकी यह उपलब्धि अन्य कर्मचारियों के लिए प्रेरणादायक है।
यह वीडियो भी देखें
चुनाव ड्यूटी और चुनाव संबंधी कार्य बेहद गंभीर और मेहनत वाले होते हैं, इसलिए कई कर्मचारी इससे बचने की कोशिश करते हैं, लेकिन दिव्यांग शेर मोहम्मद और उनकी पत्नी हसरत बानो ने कभी ऐसा प्रयास नहीं किया। दोनों ही लोकतंत्र के इस कार्य में पूरी लगन और परिश्रम से अपना योगदान देते रहे हैं।