Brain Eating Amoeba : केरल में बढ़ रहे ब्रेन-ईटिंग अमीबा इंफेक्शन का तालाब और गंदे पानी से गहरा संबंध है। जानिए इस खतरनाक बीमारी के लक्षण, कारण और बचाव के आसान तरीके।
Brain Eating Amoeba : केरल में हाल के दिनों में एक खतरनाक बीमारी का प्रकोप देखने को मिलने रहा है। इसका नाम अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस (Amoebic Meningoencephalitis) है, जो लोगों में तेजी से फैल रहा है। इसे आम भाषा में ब्रेन-ईटिंग अमीबा का इंफेक्शन भी कहा जाता है। इसका सीधा कनेक्शन तालाब, कुएं या गंदे पानी से है, जहां यह कीड़ा पनपता है। तो आइए जानते हैं इस बीमारी के बारे में।
यह रोग Naegleria fowleri नाम के सूक्ष्म जीव से होता है, जो गर्म और रुके हुए पानी में ज्यादा मिलता है। जब इंसान तालाब या गंदे पानी में नहाता है और पानी नाक के जरिए शरीर में चला जाता है, तब यह सीधे दिमाग तक पहुंचकर दिमागी ऊतकों को नुकसान पहुंचाता है। नतीजतन, मरीज को सिरदर्द, बुखार, उलझन, दौरे और कोमा जैसी गंभीर हालत हो सकती है।
इस साल राज्य में अब तक करीब 40 से ज्यादा केस सामने आ चुके हैं, जिनमें कई लोगों की मौत भी हो चुकी है। पीड़ितों में छोटे बच्चे और बुजुर्ग ज्यादा रहे हैं। हाल ही में 9 साल की बच्ची और 3 महीने का एक शिशु इस बीमारी की चपेट में आकर जिंदगी गंवा बैठे। जांच में पता चला कि लगभग सभी मरीज हाल ही में तालाब या कुएं जैसे असुरक्षित जल स्रोत से जुड़े थे।
केरल स्वास्थ्य विभाग ने “जल ही जीवन है” नाम से एक जागरूकता अभियान शुरू किया है। इसके तहत तालाब और कुओं की सफाई, क्लोरीन मिलाने की जांच और स्कूलों में बच्चों को पानी से जुड़ी सावधानियों की जानकारी दी जा रही है। साथ ही, असुरक्षित तालाबों में नहाने या तैरने पर रोक लगाने के निर्देश भी दिए गए हैं।
यह बीमारी बेहद घातक है और इसके इलाज की सफलता दर बहुत कम है। यही वजह है कि डॉक्टर साफ चेतावनी देते हैं कि बचाव ही इसका सबसे अच्छा उपाय है। तालाब, कुएं या गंदे पानी में नहाने से बचें। अगर स्विमिंग करना हो तो केवल क्लोरीनयुक्त और साफ पानी का ही इस्तेमाल करें। तैराकी करते वक्त नाक क्लिप पहनें ताकि पानी नाक में न जाए। नाक धोने या धार्मिक क्रियाओं के लिए हमेशा उबला या फिल्टर किया हुआ पानी ही प्रयोग करें।