Breastfeeding Week : स्तनपान को लेकर कई तरह के भ्रम हैं। कुछ ऐसे जो पीढ़ी दर पीढ़ी ट्रांसफर हो रहे हैं तो कुछ किसी के निजी अनुभव के आधार पर।
Breastfeeding Week : स्तनपान से जुड़े कई मिथक और भ्रांतियाँ समाज में फैली हुई हैं, जो कई बार पीढ़ी दर पीढ़ी ट्रांसफर होती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और विशेषज्ञों का मानना है कि ये मिथक अक्सर तथ्य से कोसों दूर होते हैं। इस लेख में, हम इन मिथकों की सच्चाई को जानने की कोशिश करेंगे।
स्तनपान (Breastfeeding) के दौरान शारीरिक बदलावों के बारे में कई पुराने मिथक हैं। विशेषकर, कई लोग मानते हैं कि स्तनपान करने वाली महिलाओं को व्यायाम से दूर रहना चाहिए, ताकि उनके शरीर पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े। सीके बिड़ला अस्पताल की प्रमुख सलाहकार डॉ. तृप्ति रहेजा का कहना है कि यह पूरी तरह गलत है। उनका कहना है कि स्तनपान (Breastfeeding) का शारीरिक आकार या बदलाव से कोई सीधा संबंध नहीं है। शारीरिक बदलाव उम्र, आनुवांशिकी, और हार्मोनल परिवर्तनों के कारण होते हैं, न कि स्तनपान (Breastfeeding) के कारण।
आमतौर पर, लोगों का मानना है कि स्तनपान (Breastfeeding) एक आसान प्रक्रिया है। लेकिन, डब्ल्यूएचओ के अनुसार, यह एक सरल काम नहीं है। महिलाओं और बच्चों दोनों के लिए यह एक समय-समय पर अभ्यास की आवश्यकता होती है। प्रारंभिक कठिनाइयाँ आम हैं, और इसके लिए महिलाओं को परिवार और समाज का सहयोग आवश्यक होता है।
एक और सामान्य मिथक यह है कि स्तनपान (Breastfeeding) करने वाली महिलाओं को व्यायाम नहीं करना चाहिए। डॉ. रहेजा इस मिथक को नकारते हुए कहती हैं कि यह पूरी तरह गलत है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, व्यायाम करने से दूध की गुणवत्ता पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है। व्यायाम महिलाओं की सेहत के लिए फायदेमंद होता है और इससे दूध की गुणवत्ता पर कोई असर नहीं पड़ता है।
कई बार यह माना जाता है कि स्तनपान (Breastfeeding) के लिए एक सख्त आहार दिनचर्या का पालन करना आवश्यक है। लेकिन डॉ. रहेजा का कहना है कि यह सच नहीं है। वे कहती हैं कि महिलाओं को संतुलित आहार की आवश्यकता होती है, लेकिन सख्त आहार दिनचर्या की कोई आवश्यकता नहीं है। बच्चे गर्भ में रहने के समय से ही माँ की आहार आदतों से परिचित होते हैं, इसलिए दिनचर्या में कोई बड़ा बदलाव आवश्यक नहीं है।
एक आम भ्रांति यह भी है कि महिलाओं के पास बच्चे की जरूरत के अनुसार दूध नहीं होता, और इसलिए पाउडर वाले दूध की आवश्यकता होती है। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग सभी महिलाओं अपने बच्चों के लिए पर्याप्त मात्रा में दूध बनाती हैं। दूध का उत्पादन इस बात पर निर्भर करता है कि बच्चा स्तन से कितनी अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
स्तनपान (Breastfeeding) से जुड़े मिथकों का खंडन करना जरूरी है ताकि महिलाओं को सही जानकारी मिल सके और वे अपने और अपने बच्चे के स्वास्थ्य के लिए सही विकल्प चुन सकें। विश्व स्तनपान सप्ताह का उद्देश्य भी यही है – समाज को सही तथ्यों से अवगत कराना और मिथकों से दूर रहकर सही निर्णय लेने में मदद करना।
(आईएएनएस)