Cancer test at home : भारत में अब लोग घर बैठे ही कुछ खास प्रकार के कैंसर से जुड़े जीन म्यूटेशन की पहचान करने के लिए DIY (खुद से किए जाने वाले) टेस्ट कर सकते हैं। क्या ये टेस्ट पूरी तरह सटीक नहीं होते हैं।
Cancer screening at home : आजकल सोशल मीडिया और विज्ञापनों में घर बैठे कैंसर जांच के दावे किए जा रहे हैं। कभी लार के नमूने से तो कभी कुछ बूंद खून से, ये टेस्ट कैंसर से जुड़े जीन म्यूटेशन का पता लगाने का दावा करते हैं। लेकिन क्या ये टेस्ट भरोसेमंद हैं?
कई विशेषज्ञ मानते हैं कि बिना डॉक्टर की सलाह के ऐसे टेस्ट (Cancer Test) करवाना उल्टा नुकसानदायक हो सकता है। इन टेस्टों में झूठे पॉजिटिव या झूठे निगेटिव नतीजों की संभावना अधिक होती है, जिससे लोग बेवजह घबरा सकते हैं और अनावश्यक जांचों का सिलसिला शुरू हो सकता है।
हर व्यक्ति को कैंसर-जीन की जांच करवाने की जरूरत नहीं होती। इन टेस्टों की सलाह केवल उन्हीं लोगों को दी जाती है, जिनके परिवार में कई सदस्यों को कैंसर हुआ हो, किसी को कम उम्र में कैंसर हुआ हो, या फिर किसी व्यक्ति में दो अलग-अलग कैंसर पाए गए हों।"
कई विज्ञापन इन टेस्टों की 99% सटीकता का दावा करते हैं।
"ये टेस्ट केवल कैंसर के जीन म्यूटेशन का पता लगाते हैं, न कि कैंसर की मौजूदगी का। इनकी संवेदनशीलता और सटीकता कई कारकों पर निर्भर करती है।"
हालांकि, कुछ मामलों में ये टेस्ट मददगार साबित हो सकते हैं।
TOI में छपी एक खबर के अनुसार एक 47 वर्षीय महिला में स्तन और अंडाशय के कैंसर का पता चला। उनके परिवार में भी ऐसे मामले थे, जिससे ब्राका-1 जीन में म्यूटेशन पाया गया। उनके भाई में भी यही जीन मिला, जिससे उन्हें समय रहते निगरानी में लिया गया।
भारत में अभी तक इन टेस्टों के लिए सख्त नियम नहीं बने हैं।
अमेरिका में ऐसे टेस्टों को FDA से मंजूरी लेनी होती है, लेकिन भारत में इन पर स्पष्ट दिशानिर्देश नहीं हैं, जिससे गलत नतीजों और दुरुपयोग की आशंका बनी रहती है।"
अगर आपको यह टेस्ट करवाना ही है, तो मान्यता प्राप्त लैब का चयन करें।
CAP (कॉलेज ऑफ अमेरिकन पैथोलॉजिस्ट्स) और CLIA (क्लीनिकल लेबोरेटरी इंप्रूवमेंट अमेंडमेंट्स) प्रमाणित लैब ही सबसे भरोसेमंद होती हैं।
कैंसर सिर्फ जीन की वजह से नहीं होता, बल्कि जीवनशैली, खानपान, व्यायाम, प्रदूषण और धूम्रपान भी इसमें बड़ी भूमिका निभाते हैं।
बिना सोचे-समझे इन टेस्टों पर निर्भर होने के बजाय, हेल्दी जीवनशैली अपनाना ज्यादा जरूरी है।
घर बैठे कैंसर टेस्ट आकर्षक लग सकते हैं, लेकिन वे संपूर्ण जानकारी नहीं देते। बिना विशेषज्ञ की सलाह लिए इन पर भरोसा करना चिंता और गलत फैसलों को जन्म दे सकता है। बेहतर होगा कि पहले डॉक्टर से परामर्श लें और फिर कोई निर्णय लें।
भारत में घर पर उपयोग की जाने वाली कैंसर जांच किटों की कीमतें किट के प्रकार, ब्रांड और परीक्षण की जटिलता पर निर्भर करती हैं। उदाहरण के लिए, सर्वाइकल कैंसर की जांच के लिए विकसित की जा रही स्वदेशी किट की कीमत विदेशी किटों की तुलना में काफी कम होने की उम्मीद है। वर्तमान में, विदेशों में बनी एचपीवी जांच किट की कीमत लगभग 1500 से 2000 रुपये के बीच होती है। स्वदेशी किट के सफल परीक्षण के बाद, इसकी कीमत इससे भी कम हो सकती है। हालांकि, अन्य प्रकार के कैंसर के लिए घर पर उपयोग की जाने वाली किटों की कीमतें अलग-अलग हो सकती हैं, और सटीक जानकारी के लिए संबंधित उत्पाद के निर्माता या विक्रेता से संपर्क करना उचित होगा।
डिसक्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी केवल जागरूकता के लिए है और यह किसी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी दवा या उपचार को अपनाने से पहले विशेषज्ञ या डॉक्टर से सलाह लें। हैं