Chikungunya WHO Warning : क्या आपको 2005 का वो भयानक चिकनगुनिया याद है? जोड़ों का दर्द, तेज़ बुखार और महीनों की कमज़ोरी... अब वही चिकनगुनिया तेजी से लौट रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने दुनिया को आगाह किया है कि अगर अब भी नहीं जागे, तो इतिहास खुद को दोहरा सकता है।
Chikungunya WHO Warning : क्या आपको 2005 का वो साल याद है जब चिकनगुनिया ने भारत समेत दुनिया के बड़े हिस्से में कोहराम मचा दिया था? जोड़ों का ऐसा दर्द कि उठना-बैठना मुश्किल, तेज बुखार और महीनों तक चलने वाली कमजोरी… अब वही चिकनगुनिया एक बार फिर तेजी से लौट रहा है और इस बार विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने पूरी दुनिया को आगाह किया है कि अगर अभी नहीं जागे तो इतिहास खुद को दोहरा सकता है।
हाल ही में WHO ने चेतावनी जारी की है कि चिकनगुनिया वायरस (Chikungunya WHO Warning) फिर से तेजी से फैल रहा है। इंडियन ओशन क्षेत्र, दक्षिण-पूर्व एशिया और यूरोप से नए मामले सामने आ रहे हैं। WHO की मेडिकल ऑफिसर डायना रोजस अल्वारेज के अनुसार, दुनिया के 119 देशों में लगभग 5.6 अरब लोग चिकनगुनिया के संक्रमण के जोखिम में हैं। ये आंकड़े वाकई डराने वाले हैं।
रोजस अल्वारेज़ ने जेनेवा में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, हमें इतिहास खुद को दोहराता दिख रहा है। 2004-2005 का वो दौर, जब चिकनगुनिया ने हिंद महासागर के छोटे द्वीपीय राष्ट्रों से शुरुआत की थी और देखते ही देखते लगभग पांच लाख लोगों को अपनी चपेट में ले लिया था। अब 2025 में भी वैसा ही कुछ हो रहा है।
इस बार भी शुरुआत रियूनियन, मायोटे और मॉरीशस जैसे द्वीपों से हुई है जहां बड़े पैमाने पर मामले सामने आए हैं। रियूनियन में तो एक-तिहाई आबादी संक्रमित हो चुकी है। इन द्वीपों से वायरस मेडागास्कर, सोमालिया और केन्या तक फैल गया है, और अब दक्षिण-पूर्व एशिया के हिस्सों में भी पहुंच गया है। भारत में तो महामारी के स्तर पर संक्रमण के संकेत मिल रहे हैं, जो एक बड़ी चिंता का विषय है।
सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि चिकनगुनिया, जिसे पारंपरिक रूप से एक उष्णकटिबंधीय बीमारी माना जाता रहा है अब यूरोप में भी पैर पसार रहा है। जलवायु परिवर्तन और अंतरराष्ट्रीय यात्राओं में वृद्धि ने इसे फैलने में मदद की है। फ्रांस में 1 मई से लगभग 800 आयातित मामले सामने आए हैं। इससे भी ज्यादा अलार्मिंग यह है कि दक्षिणी फ्रांस के क्षेत्रों में स्थानीय संचरण के 12 मामले सामने आए हैं। इसका मतलब है कि लोगों को स्थानीय मच्छरों से वायरस मिला है, उन्होंने किसी संक्रमित क्षेत्र की यात्रा नहीं की है। पिछले हफ्ते इटली में भी एक स्थानीय रूप से प्रसारित मामले की पुष्टि हुई है। ये बताता है कि चिकनगुनिया अब सिर्फ गर्म देशों की बीमारी नहीं रही।
चिकनगुनिया मुख्य रूप से एडीस मच्छरों, खासकर एडीस एजिप्ती और एडीस अल्बोपिक्टस (जिन्हें टाइगर मच्छर भी कहते हैं) से फैलता है। यही मच्छर डेंगू और जिका वायरस भी फैलाते हैं। कई अन्य मच्छर जनित बीमारियों के विपरीत, ये मच्छर दिन के समय काटते हैं, जिससे संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है। अधिकांश मरीज ठीक हो जाते हैं लेकिन जोड़ों का दर्द हफ्तों या महीनों तक बना रह सकता है। बुजुर्गों और पहले से बीमार लोगों में यह वायरस गंभीर जटिलताएँ पैदा कर सकता है।
चिकनगुनिया के लिए अभी तक कोई खास एंटीवायरल उपचार या टीका उपलब्ध नहीं है। ऐसे में रोकथाम ही सबसे प्रभावी बचाव है। WHO ने व्यक्तिगत और सामुदायिक स्तर पर सावधानी बरतने पर जोर दिया है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां जोखिम अधिक है।
अपनी और अपनों की सुरक्षा के लिए ये उपाय अपनाएं:
कीट निरोधकों का नियमित उपयोग करें।
पूरे आस्तीन के कपड़े और पैंट पहनें ताकि मच्छरों के काटने से बचा जा सके।
अपने घरों में मच्छरदानी और जाली लगाएं।
पानी जमा होने वाली जगहों को साफ करें, जैसे कूलर, गमले, टूटे टायर या किसी भी जगह पानी इकट्ठा न होने दें, क्योंकि मच्छर वहीं पनपते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन दुनिया भर के स्वास्थ्य अधिकारियों से आग्रह कर रहा है कि वे निगरानी बढ़ाएं, लोगों को जागरूक करें और मच्छर नियंत्रण कार्यक्रमों को तेज करें ताकि वायरस के आगे प्रसार को सीमित किया जा सके और 2000 के दशक के मध्य में देखे गए वैश्विक संकट को फिर से होने से रोका जा सके।