स्वास्थ्य

Nemaline Myopathy : कौन सी लाइलाज बीमारी से जूझ रही हैं पूर्व CJI चंद्रचूड़ की दोनों बेटियां, सांस लेना और खाना भी हुआ मुश्किल

Nemaline Myopathy : CJI चंद्रचूड़ ने अपनी बेटियों की दुर्लभ बीमारी Nemaline Myopathy पर बात की। यह जन्मजात और लाइलाज बीमारी 50,000 में से किसी एक को होती है, जो मांसपेशियों को प्रभावित कर उन्हें कमजोर कर देती है। (फोटो सोर्स : ANI)

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Jul 08, 2025
Nemaline Myopathy : कौन सी लाइलाज बीमारी से जूझ रही हैं CJI चंद्रचूड़ की दोनों बेटियां, सांस लेना और खाना भी हुआ मुश्किल (फोटो सोर्स : ANI)

CJI Chandrachud Daughters Face Rare Disorder Nemaline Myopathy : हाल ही में देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ ने एक भावुक पल में अपनी दोनों बेटियों की दुर्लभ बीमारी के बारे में खुलकर बात की। उनकी बेटियां, प्रियंका और माही Nemaline Myopathy नाम की एक जन्मजात और असाध्य बीमारी से जूझ रही हैं। यह बीमारी इतनी दुर्लभ है कि दुनिया में 50,000 में से किसी एक को होती है। आइए, जानते हैं क्या है यह बीमारी और क्यों इतनी खतरनाक है।

क्या है नेमालाइन मायोपैथी? (What is Nemaline Myopathy)

नेमालाइन मायोपैथी एक दुर्लभ आनुवंशिक विकार (जेनेटिक डिसऑर्डर) है जो सीधे हमारे शरीर की मांसपेशियों को प्रभावित करता है। इसमें मांसपेशियों के रेशों (फाइबर) के अंदर धागे जैसी असामान्य संरचनाएं बन जाती हैं, जिन्हें 'रॉड बॉडी' कहा जाता है। ये संरचनाएं मांसपेशियों को कमजोर कर देती हैं, जिससे उनका सामान्य कामकाज प्रभावित होता है। इसी वजह से इसे 'रॉड बॉडी डिजीज' भी कहते हैं।

यह बीमारी जन्म के समय से लेकर बड़े होने तक किसी भी उम्र में अपने लक्षण दिखा सकती है, लेकिन अक्सर यह जन्मजात होती है। ज्यादातर मामलों में यह माता-पिता से मिले दोषपूर्ण जीन (जीन म्यूटेशन) के कारण होती है जबकि कुछ मामलों में यह अचानक भी हो सकती है।

कितनी खतरनाक है यह बीमारी? (Nemaline Myopathy)

इस बीमारी की गंभीरता इसके प्रकार पर निर्भर करती है। इसके मुख्य रूप से 6 प्रकार होते हैं, जिनमें 'सीवियर कॉन्जेनाइटल नेमालाइन मायोपैथी' सबसे खतरनाक है। इस प्रकार में बच्चे के जन्म के समय ही लक्षण दिख जाते हैं और मांसपेशियों में इतनी ज्यादा कमजोरी आ जाती है कि सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है जिससे कई बार बचपन में ही मौत हो सकती है।

क्या-क्या परेशानियां होती हैं?

पूर्व CJI चंद्रचूड़ ने मीडिया को बताया उनकी बेटियों को सांस लेने में दिक्कत, खाना-निगलने में परेशानी और बोलने में भी समस्या होती है। इस बीमारी में गर्दन और जबड़े के आसपास की मांसपेशियां ज्यादा प्रभावित होती हैं। इसके अलावा, शरीर के कई और अंगों की मांसपेशियां भी कमजोर हो जाती हैं जिससे खड़ा होना, चलना-फिरना, यहां तक कि रोजमर्रा के सामान्य काम करना भी मुश्किल हो जाता है।

गंभीर मामलों में रीढ़ की हड्डी में टेढ़ापन (स्कोलियोसिस) भी हो जाता है, जो अंदरूनी अंगों पर भी बुरा असर डालता है। CJI की बड़ी बेटी प्रियंका दिसंबर 2021 से सांस लेने के लिए मशीन (बिपैप) पर हैं और उन्हें ट्रेकियोस्टोमी ट्यूब लगी हुई है। उनके घर में एक पूरा ICU सेटअप है जिसकी देखरेख एक आईसीयू विशेषज्ञ नर्स करती है।

कोई पुख्ता इलाज नहीं लेकिन उम्मीद बाकी

दुर्भाग्य से नेमालाइन मायोपैथी (Nemaline Myopathy) का अभी तक कोई पुख्ता इलाज मौजूद नहीं है। लेकिन दुनियाभर में इस पर शोध जारी है। इलाज का मुख्य लक्ष्य लक्षणों को कंट्रोल करना और मरीज की जिंदगी को जितना हो सके आसान बनाना है। इसमें फिजियोथेरेपी, मांसपेशियों को मजबूत करने वाली एक्सरसाइज़, स्पीच थेरेपी और सांस लेने में मदद के लिए रेस्पिरेटरी सपोर्ट शामिल है। कुछ दवाएं भी हैं जो जीन म्यूटेशन को टारगेट करती हैं, लेकिन उन पर अभी और रिसर्च की जरूरत है।

पूर्व CJI चंद्रचूड़ और उनकी पत्नी कल्पना जिस तरह अपनी बेटियों की देखभाल कर रहे हैं वह प्रेरणादायक है। कल्पना जी दुनिया भर के विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों से संपर्क में हैं ताकि इस बीमारी का कोई इलाज खोजा जा सके।

डॉक्टर कहते हैं कि हम अपने बच्चे में इस दुर्लभ बीमारी के जोखिम को कम नहीं कर सकते क्योंकि यह जेनेटिक है। लेकिन सबसे जरूरी है लक्षणों पर नजर रखना। अगर बच्चों में मांसपेशियों की कमजोरी या किसी भी तरह के असामान्य लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। समय पर पहचान से लक्षणों को कुछ हद तक कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है और मरीज की जिदगी बेहतर हो सकती है। यह बीमारी भले ही दुर्लभ हो लेकिन जागरूकता और समर्थन से हम इन बच्चों की मुश्किल राह को थोड़ा आसान बना सकते हैं।

डिसक्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी केवल जागरूकता के लिए है और यह किसी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी दवा या उपचार को अपनाने से पहले विशेषज्ञ या डॉक्टर से सलाह लें।

Updated on:
08 Jul 2025 02:57 pm
Published on:
08 Jul 2025 02:00 pm
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